रविवार, 21 जुलाई 2013

SWOT ANALYSIS TECHNIQUE IN HINDI




दोस्तों, 

आज मैं आपके साथ एक ऐसी आत्मविश्लेषण करने की तकनीक  swot analysis technique in hindi  साझा करने जा रहा हुं , जिसके जरिये हम खुद का एक विश्लेषणात्मक मुल्यांकन कर सकते है ।

आइए जानते है क्या है यह तकनीक? 

इस तकनीक का नाम है SWOT Analysis. इसकी सहायता से हम अपनी खुबियों,  कमजोरियों,  अवसरों और चुनौतियों के बारे में जान सकते है । इसमें हमें अपने आप से कुछ सवाल पुछकर उनके उत्तर देना है । सामान्य तौर पर यह पाया गया है कि जितनी आसानी से हम दुसरों की कमियों और खुबियों का मुल्यांकन कर सकते उतनी आसानी से स्वयं का मुल्यांकन नहीं कर पाते है । परन्तु ये बात भी सच है कि जितनी सटीकता और वास्तविकता से हम अपना मुल्यांकन कर सकते है ऐसा ओर कोई दुसरा व्यक्ति नहीं कर सकता है । हमारी खुबियां  और कमियां हम से बेहतर और कौन जान सकता है ?

तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें ?

सबसे पहले एक पेन और कागज साथ में लें और किसी एकान्त और शांत जगह पर चले जाएं । यह शांत जगह आपका कमरा,  छत,  कुछ भी हो सकती है । अब कागज को चार बराबर हिस्सों में बांट लें और उसके चार भागों में अंग्रजी के अक्षर S (Strengths) , W (Weaknesses) , O  (Opportunities) और T  (Threats)  लिखें । इसमें से पहले और तीसरे हिस्से वाली चीजें आपके लिए Helpful यानि कि उपयोगी है तथा दुसरे और चौथे हिस्से वाली चीजें Harmful है यानि कि नुकसानदायी ।

अब एक एक करके नीचे दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर संबंधित भाग में लिखते जाएं । याद रखें इन सवालों के उत्तर आपको पुरी निष्पक्षता और ईमानदारी से देने है । जवाब लिखने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें ।

S -> Strengths यानि खुबियां,  ताकत and all positive things about you.

1. मेरे अंदर क्या कौशल और क्षमताएं हैं?

2. मैं किन क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर सकता हुं? 

3. मेरा विलक्षण गुण क्या है? 

4. कौन से व्यक्तिगत गुण,  मूल्य मुझे सफलता दिलाएंगें ?

W -> Weaknesses यानि कमजोरियां , अवगुण and all negative things about you .

5. कौन - कौन से नकारात्मक विचार मेरे अंदर है? 

6. मेरी क्षमताओं में किन चीजों की कमी है?

7. मुझे कौन से कौशल हासिल करने है? 

8. मैं अपने जीवन के कौन से क्षेत्रों में सुधार कर सकता हूं ?

O -> Opportunities यानि उपलब्ध सुअवसर

9. मेरे लिए कौन से अवसर उपलब्ध है ?

10. कौन-सी परिस्थितियां मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता करेंगीं ।

11. कौन-से लोग मेरी सहायता और सहयोग कर सकते है ?

T -> threats यानि बाधाएं , खतरे , Fear , मुसीबतें आदि ।

12. मुझे किन बाधाओं का सामना करना है ?

13. कौन-से विचार मेरे विकास में बाधक है ?

14. कौन-से डरों ने मुझं जकड़ा हुआ है ?

15. कौन-से लोग मेरी प्रगति में बाधा बन सकते हैं ?

अब लिखे गए आपके इन जवाबों को दो - तीन बार तसल्ली से पढें । S हिस्से में जितने जवाब है वह सब आपके लक्ष्य को हासिल करने में आपके सहायक तत्व है । W वाले हिस्से में लिखे हुए जवाब आपकी सफलता और अच्छे काम में  बाधक तत्व हैं । अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी इन कमजोरियों से कैसे निपटते है ?  O हिस्से में लिखे हुए जवाब आपके लिए सफलता के द्वार है । ये द्वार कभी- कभी ही खुलते है । इसलिए आपके सामने लिखे हुए  O हिस्से के जवाबों को अच्छे से पढें । और  इनका फायदा उठायें । अब T हिस्से के जवाबों को पढें । ये सभी आपकी सफलता की राह के कांटें हैं जिनसे आपको बचना है ।

मैं आशा करता हुं कि ये लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा । ..

रविवार, 7 जुलाई 2013

फैसले की घड़ी




मनुष्य का जीवन फैसलों और निर्णयों पर आधारित है । ये निर्णय सामाजिक या व्यक्तिगत स्तर पर भिन्न हो सकते है । हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे कई मोड़ आते है जब उसे दो या अधिक रास्तों में से किसी एक को चुनना पड़ता है । और बाद में उसका वही चुनाव उसके आगे के जीवन की दिशा और दशा को निर्धारित करता है । साथ ही उसका यह फैसला दुसरों को खासकर उसके ही अपने परिवार वालों की जिंदगी को भी काफी हद तक प्रभावित करता है ।

व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता उसकी आत्मनिर्भरता का पैमाना होती है । अर्थात व्यक्ति का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता इस बात पर निर्भर करती है कि वह व्यक्तिगत स्तर पर अच्छे फैसले लेने में कितना सक्षम है ?

सही निर्णय लेने से पहले आपको बिना किसी संकोच के स्वीकार करना होगा कि आप आज जहां पर है और जो भी,स्वयं की वजह से है । अत: अगर आप  अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलना चाहते है तो पहले स्वयं को बदलना जरुरी है ।

एक अच्छा फैसला या निर्णय लेने के लिए जरुरी है कि आप उसमें अपने मत के साथ - साथ दुसरों के मत और सुझावों को भी शामिल करें । कुछ आधारभुत बातों मसलन उसका अपनी वर्तमान स्थिति , लगने वाले समय और पूंजी,  परिणाम और उसकी उपयोगिता,  मानव परिश्रम,  जोखिम आदि को केन्द्र में रखकर विचार करें । मेरी एक सलाह यह भी है कि अपने निर्णय लेते समय आप अपने माता-पिता और अन्य करीबियों के अनुभवों को भी शामिल करें ।

निर्णय लेते समय आने वाले जोखिम को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है । हर तरह के काम में हमेशा बाधाओं और अड़चन की संभावना बराबर बनी रहती है । मसलन विद्दार्थियों के लिए Fail होने का,  राजनेता के लिए चुनाव हारने का,  डॉक्टर के लिए ट्रीटमेंट असफल होने का,  खिलाड़ी के लिए हारने का आदि कुछ जोखिम के रुप है । जरा सोचिए यदि कोई व्यक्ति नदी पार करना चाहता है और वह डुबने के डर से नदी में उतरता ही नहीं है तो क्या वह नदी पार कर पाएगा ?  नहीं ना । नदी पार करने के लिए जरुरी है कि वह नदी में उतरने का निर्णय लेकर जोखिम उठाये ।

इस तरह हम निर्णय लेते समय  कुछ बातों का ध्यान रख सकते है ।

=> निर्णय लेते समय असफलता के डर को मन से निकाल दें ।

=> छोटे से छोटे सुझाव को भी सुनें भले ही उस पर अमल करें या न करें आपकी मर्जी ।

=> सुने सब की पर करें मन की ।

=> गलती होने पर उसकी जिम्मेदारी भी स्वीकार करें ।

जरा ध्यान दें - निर्णय लेने का Risk करता है सफलता को Fix.