tag:blogger.com,1999:blog-70242282889394813502024-03-14T02:32:59.911+05:30कामयाबी की राहएक छोटा सा प्रयास आपके व्यक्तित्व और विचारों को निखारने का....के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-4246668217793802552015-02-17T12:30:00.001+05:302015-02-17T12:34:25.481+05:30सभी को सम्मान दें ...।<p dir="ltr">ये कहानी इक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट में काम करता था ।</p>
<p dir="ltr">वह दिन का अंतिम समय था व् सभी घर जाने को तैयार थे तभी प्लांट में एक तकनीकी समस्या उत्पन्न हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया ।</p>
<p dir="ltr">जब तक वह कार्य पूरा करता तब तक अत्यधिक देर हो गयी । दरवाजे सील हो चुके थे व् लाईटें बुझा दी गईं । बिना हवा व् प्रकाश के पूरी रात आइस प्लांट में फसें रहने<br>
के कारण उसकी बर्फीली कब्रगाह बनना तय था । </p>
<p dir="ltr">घण्टे बीत गए तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते पाया ।...<br>
क्या यह इक चमत्कार था ?</p>
<p dir="ltr">सिक्यूरिटी गार्ड टोर्च लिए खड़ा था व् उसने उसे बाहर निकलने में मदद की। वापस आते समय उस व्यक्ति ने सेक्युर्टी गार्ड से पूछा "आपको कैसे पता चला कि मै भीतर हूँ ?" गार्ड ने उत्तर दिया " सर, इस प्लांट में 50 लोग कार्य करते हैँ पर सिर्फ एक आप हैँ जो सुबह मुझे हैलो व् शाम को जाते समय बाय कहते हैँ ।</p>
<p dir="ltr">आज सुबह आप ड्यूटी पर आये थे पर शाम को आप बाहर नही गए । इससे मुझे शंका हुई और मैं देखने चला आया ।</p>
<p dir="ltr">वह व्यक्ति नही जानता था कि उसका किसी को छोटा सा सम्मान देना कभी उसका जीवन बचाएगा ।</p>
<p dir="ltr">याद रखेँ, जब भी आप किसी से मिलते हैं तो उसका गर्मजोश मुस्कुराहट के साथ सम्मान करें । इसमें आपको भी ख़ुशी मिलेगी और सामने वाले व्यक्ति को भी । हमें नहीं पता पर हो सकता है कि ये आपके जीवन में भी चमत्कार दिखा दे ।</p>
के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-89632207543937732472014-12-14T10:01:00.001+05:302014-12-15T12:19:01.182+05:30सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग.....??<div style="text-align: center; padding: 5px;"><a href="https://lh4.googleusercontent.com/-C4G9y3WShm0/VI6EVelsGZI/AAAAAAAAAMU/Z__YgFvzIKY/1418626086247.jpg"><img src="https://lh4.googleusercontent.com/-C4G9y3WShm0/VI6EVelsGZI/AAAAAAAAAMU/Z__YgFvzIKY/1418626086247.jpg cursor: pointer;" width="320px" style="border: 1px solid; border-radius: 2px;padding: 5px; max-width: 320px " /></a></div><p dir="ltr">दोस्तों , आपने ये गाना तो जरूर सुना होगा "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना...." हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते है जब हम लोगों की हमारे व्यक्तित्व और काम के बारे में परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से उनकी नकारात्मक राय जानकर हताश और निराश हो जाते है । ऐसा अक्सर तब होता है जब हम कोई काम दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करने के लिए या फिर प्रशंसा पाने के लिए करते है ।कई दफ़े तो इस प्रकार का मत या टिप्पणी सही भी होती है जिसे सकारात्मक आलोचना कहते है । सकारात्मक आलोचक अक्सर हमारे हितैषी ही होते है ।इनकी पहचान बहुत सरल है, ये हमारे सामने हमारे काम की प्रशंसा के साथ साथ हमारी कमियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करते है । ये किसी दूसरे व्यक्ति से हमारे पीठ पीछे बुराई नहीं करते है । इनकी टिप्पणी या आलोचना रचनात्मक होती है ।  इस तरह की आलिचनाओं को हमें स्वीकार कर उसे अपने जीवन में अंगीकार करना चाहिए । <br>
परंतु कई बार नकारात्मक राय हमसे या हमारे काम से चिड़ या दुर्भावना का नतीजा होती है। इनकी नकारात्मक बातों पर ध्यान न दें और अपने काम पर फोकस करें। इनकी बातों के बजाये अपने काम के बारे में हमारी खुद की राय ज्यादा महत्त्व रखती है । हमें हमारे लक्ष्य पर पूरा भरोसा होना चाहिए । नकारात्मक बातों को एक कान से सुन दूसरे कान से निकाल दें । ऐसी बातों को भूल कर भी अपने मस्तिष्क में स्थान नहीं दें । ऐसे विचार और राय हमारे आत्मविश्वास पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालते है । किसी ने खूब कहा है " नजर अंदाज करों उन लोगों को जो आपकी पीठ पीछे आपके बारे में बातें करते है,क्योंकि वे उसी जगह है, जहाँ वे रहने के लायक है, 'आपके पीछे'...!!!"<br>
इसी तरह अपने पीठ पीछे बुराई करने वालों से भी बचें। ये लोग हमारे सामने चापलूसी भरी बातें करते है तथा दूसरों की हमारे सामने बुराई करते है । इनकी फितरत ही ऐसी होती है ।भूल कर भी ऐसे लोगों के साथ अपनी गोपनीय बातें शेयर न करें। नहीं तो वक्त आने पर तथा अपना काम निकलने के लिए आपको ब्लैकमेल कर सकते है । आपका गुप्त भेद सार्वजनिक भी कर सकते है । जिससे आपको अच्छी खासी परेशानी उठानी पड़ सकती है ।</p>
के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-76852952873892949622014-11-07T15:12:00.001+05:302014-11-07T15:37:48.519+05:30लाओ त्सू के विचार <p dir="ltr"><img src="http://lh5.ggpht.com/-ftKn_b7lQ7k/VFyWOlMaAqI/AAAAAAAAAFc/fLBiXTgAoVM/%2525E0%2525A4%2525B2%2525E0%2525A4%2525BE%2525E0%2525A4%252593%252520%2525E0%2525A4%2525A4%2525E0%2525A5%25258D%2525E0%2525A4%2525B8%2525E0%2525A5%252582%252520%2525E0%2525A4%252595%2525E0%2525A5%252587%252520%2525E0%2525A4%2525B5%2525E0%2525A4%2525BF%2525E0%2525A4%25259A%2525E0%2525A4%2525BE%2525E0%2525A4%2525B0%252520_img_1.jpg"> लाओ त्सू एक प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक , लेखक और विचारक थे । इन्हें ते चिंग नाम से भी जाना जाता है । इनकी विचारधारा पर आधारित चीन में ताओ धर्म प्रचलित है ।  <br /><p dir="ltr">● ज़िदगी स्वाभाविक बदलावों का नाम है , इन्हें रोकें नहीं । इससे तकलीफ ही होगी । सच्चाई को सच्चाई रहने दें । जिंदगी में जो घटनाएँ हो रही है , उन्हें होने दें ।<br /><p dir="ltr">● सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है , संतोष सबसे बड़ा खजाना है । आत्मविश्वास सबसे बड़ा दोस्त है । अस्तित्व में न होना सबसे बड़ा आनंद है ।<br /><p dir="ltr">● मौन रहेंगे तो इससे खुद को ताकतवर बना सकेंगे ।<br /><p dir="ltr">● शब्दों में दया भाव रखने से आत्मविश्वास बढता है । विचारों में दया भाव रखने से गंभीरता आती है और देनें में दया भाव रखने से प्रेम बढता है । <br /><p dir="ltr">● सिखने के लिए केवल तीन ही चीजें होती है - जीने में सरलता ,संघर्ष और कठिन हालात में धैर्य और दूसरों के प्रति सहानुभूति । ये तीनो मिलकर जिंदगी का सबसे बड़ा खजाना बनाते है । <br /><p dir="ltr">● कठिन काम उस वक्त करो , जब वे आसान हो और महान काम उस समय करो , जब वे छोटे हो । हजार मीलों की यात्रा की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है । <br /><p dir="ltr">● अगर आप यह मानने लगते है कि सारी चीजें बदलने वाली है तो आप उन्हें थामे रखने की कोशिश नहीं करेंगे । अगर आपको मौत का डर नहीं है तो दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है , जिसे आप हासिल नहीं कर सकते है ।<br /><p dir="ltr">● बुद्धिमान व्यक्ति वही है , जो यह जानता है कि वह कुछ नहीं जानता है । जो जानता है , वह बोलता नहीं है । जो बोलता है , वह जानता नहीं है ।<br /><p dir="ltr">● दूसरों को जानना बुद्धिमानी है । खुद को जानना सच्ची बुद्धिमानी है । दूसरों पर राज करना ताकत है । खुद पर राज करना सच्ची ताकत है । अगर आप यह मान लेते हैं कि आपके पास पर्याप्त है तो आप सच्चे धनवान है । <br />Unknownnoreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-92001112252916656792013-08-18T08:15:00.001+05:302013-08-18T08:32:01.231+05:30जीना तो नहीं भूल गये....<a href="http://lh5.ggpht.com/-Z09xNoZDs3g/UhA5IuPygrI/AAAAAAAAAKE/YTe9o8t2FWA/%2525E0%2525A4%25259C%2525E0%2525A5%252580%2525E0%2525A4%2525A8%2525E0%2525A4%2525BE%252520%2525E0%2525A4%2525A4%2525E0%2525A5%25258B%252520%2525E0%2525A4%2525A8%2525E0%2525A4%2525B9%2525E0%2525A5%252580%2525E0%2525A4%252582%252520%2525E0%2525A4%2525AD%2525E0%2525A5%252582%2525E0%2525A4%2525B2%252520%2525E0%2525A4%252597%2525E0%2525A4%2525AF%2525E0%2525A5%252587...._img_1.jpg"><img src="http://lh5.ggpht.com/-Z09xNoZDs3g/UhA5IuPygrI/AAAAAAAAAKE/YTe9o8t2FWA/%2525E0%2525A4%25259C%2525E0%2525A5%252580%2525E0%2525A4%2525A8%2525E0%2525A4%2525BE%252520%2525E0%2525A4%2525A4%2525E0%2525A5%25258B%252520%2525E0%2525A4%2525A8%2525E0%2525A4%2525B9%2525E0%2525A5%252580%2525E0%2525A4%252582%252520%2525E0%2525A4%2525AD%2525E0%2525A5%252582%2525E0%2525A4%2525B2%252520%2525E0%2525A4%252597%2525E0%2525A4%2525AF%2525E0%2525A5%252587...._img_1.jpg" style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left cursor: pointer;" height="150px" width="200px" /></a><br><br>दोस्तों,<br><br />आज मैं आपके साथ एक ऐसी कविता साझा करने जा रहा हूं जिसमें काव्यगत सौन्दर्यता के नाम पर कुछ विशेष नहीं है । लेकिन यह कविता आपके जीवन के प्रति नजरिये को बदल सकती है । यह कविता मैंने किसी फेसबुक पेज के वाल पर देखी थी । इसके रचनाकार के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है । मैं इस कविता के अज्ञात लेखक के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हुं । कविता का शीर्षक है ,  "जीना तो नहीं भूल गये " .....<br /><br>जीना तो नहीं भूल गये<br /><br><font color ="#2f00ff">पहले  हाई स्कूल अच्छे नंबरों से पास करने के लिये वो मरते रहे ,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">फिर कॉलेज पूरा करने के लिये डटे रहे ताकि कमाना शुरु कर सकें, </font><br><br /><font color ="#2f00ff">फिर शादी के लिये बेचैन रहे,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">और  फिर बच्चों के लिये, </font><br><br /><font color ="#2f00ff">फिर बच्चे बडे होकर कुछ बन जाऍ, </font><br><br /><font color ="#2f00ff">इस कोशिश में तपते रहे ,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">फिर एक दिन वो रिटायर हो गये काम से ,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">और आज जिंदगी  से रिटायर हो रहे है ,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">क्योंकि मौत दरवाजे पर दस्तक दे रही है...</font><br><br /><font color ="#2f00ff">और अचानक उन्हें लग रहा है ,</font><br><br /><font color ="#2f00ff">जिंदगी की भागमभाग में वो जीना तो भूल ही गये थे , </font><br><br /><font color ="#2f00ff">कही आप  तो  वो  नही...</font><br><br /><font color ="#2f00ff">आप अपने साथ ऐसा मत होने देना  , </font><br><br /><font color ="#2f00ff">ऐ दोस्त जमकर जीना और उल्लास से जीना... </font><br /><br>दोस्तों यह कविता आज के अधिकांश युवाओं की जिंदगी की हकीकत बयां करती है ।  व्यक्ति कल की चिंता में अपने आज को कभी सही ढ़ंग से जी नहीं पाता है । हाँ , व्यक्ति का अपने कल को लेकर सजग रहना अच्छी बात है लेकिन, उसके चक्कर में अपने आज को चिंता और तनाव जैसे नकारात्मक भावों से खराब करना सही नहीं है । चूंकि आपके आगे आने वाले जीवन को संवारने के लिए आपको पर्याप्त समय मिलता है , लेकिन बीता हुआ समय कभी वापस लौट कर नहीं आता है । <br><br />दोस्तों इस कविता को दोबारा पढें और गौर करें कि कहीं  ये पंक्तियां आपके जिंदगी जीने के ढ़ंग को कहीं बयां तो नहीं कर रही है । अगर हाँ , तो आज से ही अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदलें । अपने जीवन के हर छोटे से छोटे खुशी के पल को खुल कर जीएं और इन पलों को दुसरों के साथ साझा करें । <br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-42192645683783462512013-07-21T15:56:00.001+05:302013-07-30T08:20:16.419+05:30SWOT ANALYSIS TECHNIQUE IN HINDI <br><img src="http://lh5.ggpht.com/-vDSjZZjMQRg/Ueu7UPgd_zI/AAAAAAAAAJc/H70GFetgVTU/SWOT%252520ANALYSIS%252520TECHNIC%252520IN%252520HINDI%252520_img_1.jpg"><br /><br>दोस्तों,  <br><br />आज मैं आपके साथ एक ऐसी आत्मविश्लेषण करने की तकनीक  swot analysis technique in hindi  साझा करने जा रहा हुं , जिसके जरिये हम खुद का एक विश्लेषणात्मक मुल्यांकन कर सकते है । <br><br /><font color ="#a100ff">आइए जानते है क्या है यह तकनीक?  </font><br><br />इस तकनीक का नाम है SWOT Analysis. इसकी सहायता से हम अपनी खुबियों,  कमजोरियों,  अवसरों और चुनौतियों के बारे में जान सकते है । इसमें हमें अपने आप से कुछ सवाल पुछकर उनके उत्तर देना है । सामान्य तौर पर यह पाया गया है कि जितनी आसानी से हम दुसरों की कमियों और खुबियों का मुल्यांकन कर सकते उतनी आसानी से स्वयं का मुल्यांकन नहीं कर पाते है । परन्तु ये बात भी सच है कि जितनी सटीकता और वास्तविकता से हम अपना मुल्यांकन कर सकते है ऐसा ओर कोई दुसरा व्यक्ति नहीं कर सकता है । हमारी खुबियां  और कमियां हम से बेहतर और कौन जान सकता है ? <br><br /><font color ="#9000ff">तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें ? </font><br><br />सबसे पहले एक पेन और कागज साथ में लें और किसी एकान्त और शांत जगह पर चले जाएं । यह शांत जगह आपका कमरा,  छत,  कुछ भी हो सकती है । अब कागज को चार बराबर हिस्सों में बांट लें और उसके चार भागों में अंग्रजी के अक्षर <font color ="#0400ff">S (Strengths) , W (Weaknesses) , O  (Opportunities) और T  (Threats)</font>  लिखें । इसमें से पहले और तीसरे हिस्से वाली चीजें आपके लिए Helpful यानि कि उपयोगी है तथा दुसरे और चौथे हिस्से वाली चीजें Harmful है यानि कि नुकसानदायी ।<br><br />अब एक एक करके नीचे दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर संबंधित भाग में लिखते जाएं । याद रखें इन सवालों के उत्तर आपको पुरी निष्पक्षता और ईमानदारी से देने है । जवाब लिखने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें । <br /><br><font color ="#ff8300"><font color ="#ff0058">S</font></font> -> <font color ="#ff0099">Strengths</font> यानि खुबियां,  ताकत and all positive things about you.<br /><br><font color ="#ff0700">1. मेरे अंदर क्या कौशल और क्षमताएं हैं? </font><br><br /><font color ="#ff0700">2. मैं किन क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर सकता हुं?  </font><br><br /><font color ="#ff0700">3. मेरा विलक्षण गुण क्या है?  </font><br><br /><font color ="#ff0700">4. कौन से व्यक्तिगत गुण,  मूल्य मुझे सफलता दिलाएंगें ? </font><br /><br><font color ="#ff0073">W</font> -> <font color ="#ff009e">Weaknesses</font> यानि कमजोरियां , अवगुण and all negative things about you .<br /><br><font color ="#ff000b"><font color ="#ff3400">5. कौन - कौन से नकारात्मक विचार मेरे अंदर है?  </font></font><br><br /><font color ="#ff000b"><font color ="#ff3400">6. मेरी क्षमताओं में किन चीजों की कमी है? </font></font><br><br /><font color ="#ff000b"><font color ="#ff3400">7. मुझे कौन से कौशल हासिल करने है?  </font></font><br><br /><font color ="#ff000b"><font color ="#ff3400">8. मैं अपने जीवन के कौन से क्षेत्रों में सुधार कर सकता हूं ? </font></font><br /><br><font color ="#ff4600"><font color ="#ff004e">O</font></font> -> <font color ="#ff00a3">Opportunities</font> यानि उपलब्ध सुअवसर<br /><br><font color ="#ff4600">9. मेरे लिए कौन से अवसर उपलब्ध है ? </font><br><br /><font color ="#ff4600">10. कौन-सी परिस्थितियां मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता करेंगीं । </font><br><br /><font color ="#ff4600">11. कौन-से लोग मेरी सहायता और सहयोग कर सकते है ? </font><br /><br><font color ="#ff004d">T</font> -> <font color ="#ff0091">threats</font> यानि बाधाएं , खतरे , Fear , मुसीबतें आदि ।<br /><br><font color ="#ff0008">12. मुझे किन बाधाओं का सामना करना है ? </font><br><br /><font color ="#ff0008">13. कौन-से विचार मेरे विकास में बाधक है ? </font><br><br /><font color ="#ff0008">14. कौन-से डरों ने मुझं जकड़ा हुआ है ? </font><br><br /><font color ="#ff0008">15. कौन-से लोग मेरी प्रगति में बाधा बन सकते हैं ? </font><br /><br>अब लिखे गए आपके इन जवाबों को दो - तीन बार तसल्ली से पढें । S हिस्से में जितने जवाब है वह सब आपके लक्ष्य को हासिल करने में आपके सहायक तत्व है । W वाले हिस्से में लिखे हुए जवाब आपकी सफलता और अच्छे काम में  बाधक तत्व हैं । अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी इन कमजोरियों से कैसे निपटते है ?  O हिस्से में लिखे हुए जवाब आपके लिए सफलता के द्वार है । ये द्वार कभी- कभी ही खुलते है । इसलिए आपके सामने लिखे हुए  O हिस्से के जवाबों को अच्छे से पढें । और  इनका फायदा उठायें । अब T हिस्से के जवाबों को पढें । ये सभी आपकी सफलता की राह के कांटें हैं जिनसे आपको बचना है ।<br><br />मैं आशा करता हुं कि ये लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा । ..<br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com35tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-59269422608341620302013-07-07T12:24:00.001+05:302013-07-10T14:52:14.020+05:30फैसले की घड़ी<br><img src="http://lh6.ggpht.com/-Ut2zGvLiDyw/UdkSLh1i0FI/AAAAAAAAAIk/gAvJ65XlZs4/How%252520to%252520take%252520decision%252520in%252520Hindi_img_1.jpg"><br /><br>मनुष्य का जीवन फैसलों और निर्णयों पर आधारित है । ये निर्णय सामाजिक या व्यक्तिगत स्तर पर भिन्न हो सकते है । हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे कई मोड़ आते है जब उसे दो या अधिक रास्तों में से किसी एक को चुनना पड़ता है । और बाद में उसका वही चुनाव उसके आगे के <a href="http://aatmavikas.blogspot.com/2013/05/blog-post.html?m=1">जीवन की दिशा और दशा को निर्धारित करता है </a>। साथ ही उसका यह फैसला दुसरों को खासकर उसके ही अपने परिवार वालों की जिंदगी को भी काफी हद तक प्रभावित करता है । <br><br />व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता उसकी आत्मनिर्भरता का पैमाना होती है । अर्थात व्यक्ति का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता इस बात पर निर्भर करती है कि वह व्यक्तिगत स्तर पर अच्छे फैसले लेने में कितना सक्षम है ? <br><br />सही निर्णय लेने से पहले आपको बिना किसी संकोच के स्वीकार करना होगा कि आप आज जहां पर है और जो भी,स्वयं की वजह से है । अत: अगर आप  अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलना चाहते है तो पहले स्वयं को बदलना जरुरी है । <br><br />एक अच्छा फैसला या निर्णय लेने के लिए जरुरी है कि आप उसमें अपने मत के साथ - साथ दुसरों के मत और सुझावों को भी शामिल करें । कुछ आधारभुत बातों मसलन उसका अपनी वर्तमान स्थिति , लगने वाले समय और पूंजी,  परिणाम और उसकी उपयोगिता,  मानव परिश्रम,  जोखिम आदि को केन्द्र में रखकर विचार करें । मेरी एक सलाह यह भी है कि अपने निर्णय लेते समय आप अपने माता-पिता और अन्य करीबियों के अनुभवों को भी शामिल करें । <br><br />निर्णय लेते समय आने वाले जोखिम को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है । हर तरह के काम में हमेशा बाधाओं और अड़चन की संभावना बराबर बनी रहती है । मसलन विद्दार्थियों के लिए Fail होने का,  राजनेता के लिए चुनाव हारने का,  डॉक्टर के लिए ट्रीटमेंट असफल होने का,  खिलाड़ी के लिए हारने का आदि कुछ जोखिम के रुप है । जरा सोचिए यदि कोई व्यक्ति नदी पार करना चाहता है और वह डुबने के डर से नदी में उतरता ही नहीं है तो क्या वह नदी पार कर पाएगा ?  नहीं ना । नदी पार करने के लिए जरुरी है कि वह नदी में उतरने का निर्णय लेकर जोखिम उठाये । <br><br /><font color ="#ff0e00">इस तरह हम निर्णय लेते समय  कुछ बातों का ध्यान रख सकते है ।</font><br><br /><font color ="#ff0e00">=> निर्णय लेते समय असफलता के डर को मन से निकाल दें ।</font><br><br /><font color ="#ff0e00">=> छोटे से छोटे सुझाव को भी सुनें भले ही उस पर अमल करें या न करें आपकी मर्जी ।</font><br><br /><font color ="#ff0e00">=> सुने सब की पर करें मन की ।</font><br><br /><font color ="#ff0e00">=> गलती होने पर उसकी जिम्मेदारी भी स्वीकार करें । </font><br /><br><font color ="#ff0082">जरा ध्यान दें - निर्णय लेने का Risk करता है सफलता को Fix.</font><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-33891360401744186032013-06-30T09:42:00.001+05:302013-07-02T06:50:23.463+05:30मन की शांति<br><font color ="#ff0000">अपने जीवन का उद्देश्य और पूर्णता की अनुभूति के लिए आवश्यक कारकों को जानने के लिए अमरीकन रब्बाई और अन्य कई पुस्तकों के लेखक जोशुआ लोथ लीबमैन काफी उत्साहित रहते थे । </font><br><br /><font color ="#ff0000">एक दिन उन्होंने उन चीजों जैसे स्वास्थ्य,  सोंदर्य,  समृद्धि,  यश,  शक्ति, संबल आदि की सुची बनाई ; जिन्हें पाकर कोई भी अपने आप को धन्य समझता । इस सुची को लेकर वे एक बुजुर्ग के पास पहुंचे और उससे पुछा, " क्या इस सुची में मनुष्य की</font><font color ="#ff0000"><a href="www.aatmavikas.blogspot.com/2013/04/will-power.html?m=1"> सभी गुणवान उपलब्धियां विद्दमान है या नहीं  ? "</a></font><font color ="#ff0000"> </font><br><br /><font color ="#ff0000">   प्रश्न सुनकर बुजुर्ग मुस्कुराए और कहा,  " अपनी समझ के अनुसार तुमने हर सुन्दर विचार को स्थान दिया है । लेकिन इसमें उस तत्व को तो तुमने लिखा ही नहीं है , जिसकी अनुपस्थिति में सबकुछ व्यर्थ है । उस  तत्व का दर्शन विचार से नहीं , अनुभूति से किय जा सकता है । " </font><br><br /><font color ="#ff0000">  काफी असमंजस के साथ लीबमैन ने सुची देखी और पूछा वह कौन-सा तत्व है ? बुजुर्ग ने सुची ली और उसे बड़ी विनर्मता से काट दिया । फिर उसके नीचे तीन शब्द लिख दिए </font><u><font color ="#ff0000">, ' PEACE OF MIND'. </font></u><br /><br>दोस्तों,<font color ="#ff006a">  एक सफल जीवन वही होता है जिसमें हमें मन की शांति की अनुभूति हो । शांत मन वाला व्यक्ति अपने हर कार्य को दुसरों की तुलना में अधिक तन्मयता और एकाग्रता से करता है ।  याद रखें , " जीवन में पुर्णता की अनुभूति के लिए शांत चित्त होना जरुरी है ।" </font><br><br /><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com10tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-10593113931161388602013-06-16T12:13:00.001+05:302013-06-19T15:39:49.202+05:30माफ करना सीखिए<br>दोस्तों,  <br><br />   सबसे पहले सुनिए मेरी आंखों देखी दो घटनाएं । पहली घटना लगभग दो साल पहले की है। जब मैं एक स्कुल के पास से गुजर रहा था,  रास्ते में मैंने देखा कि एक बाइक वाला गली में से निकल रहा था । तभी सामने से एक व्यक्ति आ गया और बाइक वाले ने बाइक संभालने की कोशिश की लेकिन बाइक उस व्यक्ति के पैर से लगती हुई गिर गयी । गनीमत रही की बाइक वाले को चोट नहीं आई पर राहगीर के पैर में हल्की चोटें  आई। बाइक वाले ने तुरंत राहगीर को उठाया और <font color ="#ff00b9">Sorry</font> कहा ।  राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा " कोई बात नहीं ।" बाद में बाइक वाला उसे पास के प्राथमिक चिकित्सालय ले गया । <br><br />दुसरी घटना अभी कुछ दिन पहले ही घटी । मैं किसी काम से Bus stand गया था । वहां मैंनें देखा कि एक ट्रक जा रहा था । आगे एक साइकिल वाला आ गया तो ट्रक रुक गया । पीछे से एक कार की ट्रक से टक्कर हो गयी । कार वाले ने ट्रक वाले से कुछ अपशब्द कहे तो ट्रक ड्राइवर भी पीछे नहीं रहा । बात बढ़ती गयी और नौबत हाथापाई तक पहुंच गयी । इतने में ट्रेफिक पुलिस भी वहां आ गयी और दोनों को साथ ले गयी । <br><br />मेरे ख्याल मे ऊपर की दोनों घटनाएं लगभग समान ही है लेकिन कुछ शब्दों ने दोनों घटनाओं के परिणाम को ही बदल दिया । पहली घटना जहां एक मुस्कुराहट के साथ खत्म हुई,  वहीं दुसरी घटना में बात मारपीट व पुलिस तक पहुंच गई । <br><br />दोस्तों , हम सब जानते है कि इंसान गलतियों का पुतला है । हम जब तक कोई गलती नहीं करते हैं तब तक नया नहीं सीख सकते है । और नया  सीखने के लिए जरुरी  है , हम कुछ गलतियों को क्षमा करें । उससे भी ज्यादा जरुरी यह है कि माफी मांगना व माफ करना दोनों दिल से हो । याद रखें क्षमा का भाव हमें पशुता से मानवता की ओर ले जाता है । एक विचारक क्षमा करने का अर्थ बताते हुए कहते है कि क्षमा का मतलब बदला लेने में पूर्ण रुप से सक्षम होते हुए भी माफ कर देना । यदि हम अपने मन में किसी के प्रति द्वेष पालते है तो इससे उसको कोई हानि नहीं होती है । अपितु इसके विपरीत हम ही तनाव,  चिंता व मानसिक अशांति का शिकार बनते है । अगर हम छोटी - छोटी गलतियों को माफ करना सीख जाते है तो हम अनावश्यक तनाव,  चिंता,  भय तथा कुंठा से बच सकते है,  जिससे हमें मानसिक शांति व खुशी मिलती है । <font color ="#ff6b00">महोपाध्याय ललितप्रभ सागर कहते हैं  'प्रतिशोध तो वह विष है जो मस्तिष्क की ग्रंथियों को कमजोर करता है और मन की शांति को भस्म करता है । अगर मनुष्य यह सोचता है कि वह वैर को वैर से हिंसा को बिंसा से काट देगा तो यह उसकी भुल है । वैर- विरोध और वैमनस्यता की स्याही से सना हुआ वस्त्र खून से नहीं बल्कि प्रेम,  आत्मीयता , मैत्री तथा क्षमा के साबुन से साफ किया जाता है ।'  </font><br /><br>यह पोस्ट भी पढ़ें। <a href="http://www.aatmavikas.blogspot.com/2013/05/blog-post.html?m=1">कामयाबी की राह</a> <br><br /><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com12tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-52487814777511992013-06-08T10:46:00.001+05:302013-06-30T10:53:25.995+05:30जितना दोगे उतना मिलेगा ।<br><b><b><b>दोस्तों , आज एक छोटी सी कहानी सुनिए जो मनोरंजन के साथ साथ जिंदगी का  एक बहुत अच्छा और महत्वपुर्ण सबक सीखाती है। </b></b></b><br /><br><b><b><b>एक बार की बात है । एक किसान हर रोज एक पौंड मक्खन एक बेकरी वाले  को बेचा करता था । एक दिन बेकरीवाले ने सोचा - " मैं हर रोज इस किसान पर भरोसा करके बिना तोले मक्खन ले लेता हुं, क्यों न आज मक्खन को तोल कर देखुं  ताकि मुझे पता लग सके कि मक्खन पुरा मिल रहा है कि नहीं ।"      </b></b></b><br><br /><b><b><b>तोलने पर मक्खन वजन में कम निकला । बेकरीवाले को किसान पर बहुत क्रोध आया । उसने किसान पर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई । किसान को कोर्ट में बुलाया गया । जज  ने किसान से पुछा कि क्या वह मक्खन तोलने के लिए किसी बाट का इस्तेमाल करता है । किसान ने उत्तर दिया,  कि यूं तो उसके पास बाट नहीं है, लेकिन फिर भी वह उसे तोल लेता है । हैरान जज ने पुछा वह बिना बाट के मक्खन कैसे तोलता है ? तो किसान ने उत्तर दिया कि लंबे समय से हर रोज वह , बेकरीवाले से एक पौंड का ब्रेड खरीदता है । हर रोज जब वह बेकरीवाला मुझे ब्रेड देकर जाता है,तो मैं उतने ही वजन का मक्खन उसे तोल कर दे देता हुं । यह सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया । </b></b></b><br /><br><b><b><b>दोस्तों , इस कहानी से मिलने वाला सबक स्पष्ट है कि जो आप दुसरों को देते हैं वही आपको रिटर्न में वापस मिलता है। जब आप दुसरों के साथ अच्छा या बुरा व्यवहार करते है तो वही व्यवहार आपके साथ भी दोहराया जाता है । हमारे यहां एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय।'  अत: अपना व्यवहार शालीनता युक्त बनाएं । </b></b></b><br><br /><b><b><b>अंत में मेरा यही कहना है कि</b></b></b><font color ="#ff0900"><b><b><b> जैसे व्यवहार की आप दुसरों से अपेक्षा करते हैं,  वैसा ही व्यवहार पहले दुसरों के साथ करें । </b></b></b></font><br /><br>यह पोस्ट भी पढ़ें ।  <a href="http://www.aatmavikas.blogspot.com/2013/04/will-power.html?m=1">संकल्प शक्ति</a> <br><br /><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-59876421504328332132013-06-02T10:35:00.001+05:302013-06-17T15:43:32.681+05:30बातचीत की कला<br>दोस्तों,         <br><br />मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अपने विचारोंऔर भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों को वाणी रुपी  माला में पिरोकर प्रस्तुत करना पड़ता है । वर्तमान समय मैं तो बातचीत की कला ( Talking ability)  का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। सभी तेजी से सफलता की सीढ़ीयां चढ़ना चाहते है । काम और व्यापार के सिलसिले में उन्हें अजनबियों से मुलाकात करनी पड़ती है । सभी की कोशिश रहती है कि बातचीत और विनम्र व्यवहार से सामने वाले का दिल जीता जाए । आज हर क्षेत्र में व्यवहार कुशल व्यक्ति को प्रमुखता दी जाती है, चाहे वे प्राइवेट सेक्टर्स हो या सरकारी । <br><br />यहां मैं आपको पहले अकबर - बीरबल के किस्सों में से एक कहानी सुनाता हुं जो मनोरंजन के साथ साथ प्रेरणात्मक भी है । <br><br /><font color ="#ff003c">एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीब सपना देखा कि केवल एक छोड़कर उनके बाकी सभी दांत गिर गए हैं। फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व नुजूमियों को बुला भेजा और और उन्हें अपने सपने के बारे में बताकर उसका मतलब जानना चाहा। सभी ने आपस में विचार-विमर्श किया और एक मत होकर बादशाह से कहा, ‘‘जहांपनाह, इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते-रिश्तेदार आपसे: पहले ही मर जाएंगे।’’ यह सुनकर अकबर को बेहद क्रोध हो आया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा। उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से अपने सपने का मतलब बताने को कहा। कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबे रहे, फिर बोले, ‘‘हुजूर, आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है कि अपने नाते - रिश्तेदारों के बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे।’’ बीरबल की बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुए। बादशाह ने बीरबल को ईनाम देकर विदा किया। </font><br><br />दोस्तों, यहां पर गौर करने वाली बातयह है कि बीरबल ने भी अकबर को वही बात कही थी जो उन ज्योतिषियों ने कही थी,  लेकिन दोनों का बात कहने का ढंग अलग - अलग  अलग था । साथ ही दोनों तरीकों पर प्रतिक्रियाएं भी एक दुसरे के विपरीत थी । <br><br />हम यहां पर आपको बातचीत से संबंधित कुछ जरुरी सुझाव दे रहे हैं,  जिन्हें आप अपना सकते है । <br /><br>1. <font color ="#0b00ff">आत्मविश्वास </font>-: आत्मविश्वास का गुण  एक सफल वक्ता बनने के लिए बेहद जरुरी है । व्यक्ति के बातचीत के तरीके और हावभाव में आत्मविश्वास की झलक स्पष्ट नजर आती है । आत्मविश्वासी व्यक्ति अपनी बात को जोश और उत्साह के साथ प्रस्तुत करता है , साथ ही उसकी चेहरे पर सच्ची मुस्कान रहती है ।वह अपनी बात को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत नहीं करता है।वह जो भी बोलता है पुरे विश्वास के साथ बोलता है । वह कभी दुसरों के दिल को चोट पहुंचाने वाली बात नहीं करता है । <br /><br>2. <font color ="#d300ff"><font color ="#ff0082">भाषा की सरलता और स्पष्टता का ध्यान </font></font><font color ="#ff0082">रखें । </font> एक कुशल वक्ता बनने के लिए आपको अपनी विचारों को सीधे,  सरल और स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करना आना चाहिए ; नहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है । अपने वक्तव्य ( lecture) में जानबुझ कर कठिन और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करें ।याद रखें - " विचारो की सरलता और स्पष्टता से ही वाणी सरल और स्पष्ट बनती है ।" <br /><br>3.<font color ="#ff5000"> </font><font color ="#ff4600"><font color ="#ff5000">अच्छे श्रोता </font></font><font color ="#ff5000">बनें ।</font> एक अच्छे वक्ता की पहचान एक अच्छे श्रोता के रुप में भी होती है । वह न केवल शब्दों को ध्यान से सुनता है , बल्कि उनके अंदर छुपे हुए भावों को भी पढ़ लेता है । अगर उसे कोई बात समझ में नहीं आती है तो बीच में सवाल  पुछ कर अपनी शंका दुर कर लेता है । इससे सामने वाले को भी लगता है कि श्रोता उसकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है । <br /><br>4. <font color ="#ff00c5">दुसरों को भी बोलने का अवसर दें ।</font> अक्सर कुछ लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है या कहें बिमारी होती है । उन से तंग आकर लोग उनसे दुर भागने लगते है । कुशल वक्ता अपने बात कहने के बाद या पहले ओरों को भी बोलने का अवसर प्रदान करता है और उनकी बातों को ध्यान से सुनता है ।बीच में अपनी बात कहने के लिए दुसरों की बात भी नहीं काटता है । <br /><br>5. <font color ="#ff0b00">बहसबाजी न करें ।</font> बात चीत में तर्क वितर्क का होना अच्छी बात है , इससे किसी विषय का सार्थक हल निकलता है । तर्क वितर्क करने से आपको नई जानकारी भी मिलती है ।  लेकिन अपनी बात पर अढ़े रहने से बातचीत बहसबाजी का रुप ले लेती है । वस्तुत: बहसबाजी केवल अहंकार की ऐसी लड़ाई है,  जिसमें  एक दुसरे पर चिल्लाने की होड़ सी लगी होती है । बहसबाजी से कई बार हमारे संबंध भी बिगड़ जाते है । <br><br />मैं अपनी विचारों का अंत कबीरदास जी के इस दोहे के साथ करता हुँ । <br><br /><font color ="#0087ff">" ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोये । </font><br><br /><font color ="#0087ff">औरन को सीतल करै आपहूं सीतल होये ।" </font><br /><br>यह पोस्ट भी पढें।  <a href="http://www.aatmavikas.blogspot.com/2013/05/how-to-say-ego-to-go-in-hindi.html?m=1">अहंकार को कहें ना...</a> <br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-31511748617977254552013-05-26T16:09:00.001+05:302013-06-17T15:33:59.646+05:30अहंकार को कहें ना ...<br>दोस्तों , आज हम बात करेंगे " अहंकार " पर ; जिसे english  में EGO कहते हैं । अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो हमें ऐसे सेकड़ों योद्दाओं और राजाओं के उदहारण मिल जाऐंगें , जो अपने अहंकार के कारण अपनी क्षमताओं और शक्ति के साथ न्याय नहीं कर पाए ।न्युट रोकने कहते है ।<font color ="#ff0043"> "</font><font color ="#ff004c"><font color ="#ff0043"> अहंकार का भाव ऐसा बाम है जो मुर्खता के दर्द को कम कर देता है </font></font><font color ="#ff0043">।"</font> कई बार लोग अपनी काबिलीयत के दम पर succesfull हो तो जाते लेकिन इस success का नशा उनके सिर चढ़ कर बोलता है और नतीजा यह होता है कि वे वापस फर्श से अर्श तक आ जाते है । दोस्तों ! success होने के बाद उस success को enjoy करने का आपका हक़ बनता है , लेकिन एक limit  में रहकर । यहाँ पर हम आपको कुछ points बता रहे है , जिन्हें आप follow कर सकते है । <br /><br>1. <font color ="#8600ff">तूफान का सामना ।</font> दोस्तों, जब तेज आंधी चलती है कि बड़े पेड़ उस आंधी  तूफ़ान में उखड जाते हैं । लेकिन घास को  इससे कोइ फर्क नहीं पढ़ता है । तो हमें भी घास की तरह विनम्र रहना चाहिए; बड़े पेड़ों की तरह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए । क्योंकि अकड़ना तो मुर्दों की पहचान होती है । <br /><br>2.<font color ="#ff00dc"> दूसरों को सम्मान देना।</font> अहंकार का सबसे अच्छा इलाज है दुसरे लोगों का सम्मान करना । एक बात याद रखें औरों को सम्मान देने से आपकी इज्जत कम नहीं होती है , बल्कि उसके बदले में आपको भी सम्मान मिलता है ।आप विनम्रता को बढ़ावा देकर ही अपने अहंकार की ख़त्म कर सकते है ।<br /><br>3. <font color ="#ff9a00">दूसरों का आंकलन।</font> अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर भरोसा करना अच्छी बात है लेकिन औरों को कमजोर समझ कर उनका अपमान नहीं करना चाहिए । हम जानते है कि मगध सम्राट घनानंद ने आचार्य चाणक्य को कमजोर समझ कर उनका अपने दरबार में अपमान किया था जिसका परिणाम उसे अपनी राजगद्दी से हाथ धोकर चुकाना पढ़ा । <br /><br>4. <font color ="#ff00a1">अहंकार से क्रोध पैदा होता है </font>। जब कोई हमारी आलोचना करता है तो हम फौरन गुस्से में आग बबूला हो जाते हैं । इसके बजाये हमें उस आलोचना को पर मंथन करना चाहिए । अगर आलोचना सही है तो उस पर हमें सकारात्मक पहल करनी चाहिए और गलत है तो उसे नजरंदाज करते हुए अपने काम पर ध्यान देना  चाहिए । <br /><br>5.<font color ="#ff5700"> अच्छाई का अभिमान।</font> अहंकार का ये सबसे common रूप है । अक्सर लोगों को लगता है कि इस संसार में उनसे भला मनुष्य कोई नहीं है।याद रखें आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करेंगे , उतनी ही बुराई पैदा होगी । इसलिए अच्छे बनों ; पर अच्छाई का अभिमान मत करो । कुल मिलाकर <font color ="#ff0b00">एक बात ध्यान में रखें "विनम्र बने और अहंकार से मुक्ति पायें।" </font><br><br /><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-526941030915478312013-05-19T15:36:00.001+05:302013-06-17T16:00:35.197+05:30सफलता का श्रेय<br>दोस्तों आज में आपको एक motivational कहानी सुनाता हुं । सफलता का श्रेय किसे मिले ? इस प्रश्न पर एक दिन विवाद खड़ा हुआ । ' संकल्प ' ने खुद को,  ' बल ' ने खुद को तथा बुद्धी ने स्वयं को अधिक महत्वपुर्ण बताया । तीनों ही अपनी अपनी बात पर अड़ गये । अंत में तय हुआ कि ' विवेक ' को पंच बनाकर इस विवाद को सुलझाया जाए । <br><br />तीनों को अपने साथ लेकर विवेक चल पड़ा । उसने एक हाथ में लोहे की टेढ़ी कील ली और दुसरे में हथोड़ा । चलते चलते वे लोग ऐसे स्थान पर पहुचे जहां एक नन्हा बालक खेल रहा था । विवेक ने बालक से कहा - " बेटा,  इस टेढ़ी कील को अगर तुम हथौड़े से ठोक कर सीधा कर दो तो मैं तुम्हें भरपेट मिठाई और खिलौने दुंगा ।" <br><br />बालक की आंखे चमक उठीं ।  वह बड़ी आशा और  उत्साह से प्रयत्न करने लगा । पर कील को सीधा कर सकना तो दुर वह हथौड़ा तक नहीं उठा सका । भारी औजार उठाने लायक उसके हाथों में बल ही नहीं था । बहुत प्रयत्न करने पर भी सफलता न मिली तो बालक खिन्न होकर चला गया । इससे उन्होने यह निष्कर्ष निकाला कि सफलता प्राप्त करने के लिए अकेला ' संकल्प ' अपर्याप्त है । <br><br />चारों आगे बढ़े तो थोड़ी दूर जाने पर एक श्रमिक दिखाई दिया । वह खर्राटे लेता हुआ सो रहा था । विवेक ने उस जगाया और कहा  - " इस कील को हथौड़ा मारकर सीधा कर दो ; मैं तुम्हें दस रुपये दुंगा । " उनींदी आंखों से श्रमिक ने थोड़ा प्रयत्न भी किया,  पर वह नींद की खुमारी में ही बना रहा । उसने हथौड़ा  एक ओर रख दिया और वहीं लेट खर्राटे भरने लगा । <br><br />निष्कर्ष निकला कि अकेला ' बल'  भी काफी नहीं है । सामर्थ्य रखते हुए भी संकल्प न होने से श्रमिक जब कील को सीधा न कर सका तो  इसके सिवाय और क्या किया जा सकता था । विवेक ने कहा कि हमें वापस लौट चलना चाहिए,  क्योंकि जिस बात को हम जानना चाहते थे वह मालुम पड़ गई । संकल्प , बल और बुद्धि का सम्मिलित रुप ही सफलता का श्रेय प्राप्त कर सकता है । एकाकी रुप में आप तीनों ही अपुर्ण और अधुरे है । <br><br />तो<font color ="#2200ff"> दोस्तों बात साफ है सफल होने के लिए बल,  बुद्धि और संकल्प तीनों की जरुरत होती है । </font><br /><br><font color ="#2200ff">यह पोस्ट भी पढ़ें । </font><br /><br>कृपया अपने सुझाव और विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स मे जरुर दें । धन्यवाद  <a href="http://www.aatmavikas.blogspot.com/2013/04/blog-post.html?m=1">Dr. Abdul Kalam Qoute in Hindi</a>  <a href="http://www.aatmavikas.blogspot.com/2013/04/blog-post.html?m=1">Dr. abdul kalam qoute in Hindi</a> <br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-77541562003516213712013-05-05T13:48:00.001+05:302013-06-17T15:19:02.396+05:30कामयाबी की राह<br>Friends, आज के जमाने ऐसा कौन व्यक्ति है जो अपने Field में Sucessfull नहीं बनना चाहता है।चूंकि सभी के Working field अलग - अलग होते है अत: उनके लिए कामयाबी के मायने भी  अलग - अलग होते है। कोई Successfull Doctor, Engineer, Teacher, businessman आदि तो कोई सफल खिलाड़ी, कलाकार, लेखक आदि बनना चाहता है। परंतु सभी का लक्ष्य एक ही होता है, अपने कार्यक्षेत्र में शिखर तक पहुंचना। हम यहां पर आपके साथ कुछ ऐसे ही Points पर चर्चा करेंगे जो आप सभी के लिए उपयोगी है चाहे , आप किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो। तो आइए अब बात करते है उन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर..... <br /><br>☞<font color ="#00a2ff"> सफल होने की प्रबल इच्छा </font>। दोस्तों कामयाबी की राह का सबसे पहला बिन्दु है सफल होने का प्रबल इच्छा।जब कोई व्यक्ति यह सोचता ही नही कि मुझे अपने क्षेत्र में कामयाब इंसान बनना है तब वह सफल कैसे हो सकता है ? <br /><br>☞<font color ="#ff00fb"> आपके सामने अपना लक्ष्य या Goals स्पष्ट होना ।</font> कामयाबी की राह का दुसरा पड़ाव है , अपना लक्ष्य बनाना । जो व्यक्ति यह नहीं जानता है कि उसे जाना कहां है, वह कभी अपनी मंजिल को नहीं पा सकता । इसलिए पहले अपनी मंजिल ( लक्ष्य ) तय करें और फिर सफलता के मार्ग पर आगे बढते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करें । <br><br />☞<font color ="#ff6e00"><font color ="#ff5200"> अपने Goals के प्रति हमेशा Focused </font></font><font color ="#ff5200">रहैं । </font> लक्ष्य बनाने के बाद तीसरा कदम होता है , अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमेशा सुझबुझ और ईमानदारी के साथ प्रयास करें । स्वामी विवेकानन्द ने कहा है "अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं। हर समय उसका चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो और उसी के  सहारे जीवित रहो ।" <br /><br>☞ <font color ="#ff0000">कठिन परिश्रम </font>।अब आता है चौथा कदम कठिन परिश्रम यानि कि Hard Work .    ये बात याद रखें जो व्यक्ति केवल कोरे ख्वाब देखता वह कभी सफल नहीं हो सकता है। सपने जरुर देखें , खुब देखे लेकिन उन्हें कार्यरुप मे भीं बदलें तभी आप सफल व्यक्ति  बन सकते है। <br /><br>☞ <font color ="#00d9ff"><font color ="#df00ff">अपने काम के प्रति समर्पित (Dedicated ) भाव का होना।</font></font> जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए व्यक्ति के मन में समर्पण का होना बेहद जरुरी है। आप जो भी काम अपने हाथ में लेते है उसे पुरे मन, वचन और कर्म से अंजाम दें। अपने काम के साथ साथ अपने Family , समाज और देश के प्रति भी समर्पित रहें। <br /><br>☞<font color ="#ff00eb"> असफलता को स्वीकारना ।</font> दोस्तों अब बात करते है छठे कदम की वह है असफलता या Failures. एक विद्वान का मत है " असफलताएं जितनी बड़ी होगी, सफलताएं भी उतनी ही बड़ी होंगी। " अगर आपने कोई काम शुरु किया है तो जितनी सफल बोने की संभावना है उतनी ही असफल होने की भी । हर काम में Risk होता है जिसने खतरा उठाया वह आगे बढ़ गया और जिसने Failures के डर से Risk नहीं लिया वह वहीं का वहीं रह गया । अत: असफलता से Disappointed नहीं होना चाहिए और  गलतियों से सीख लेते हुए नई ऊर्जा और सोच के साथ पुन: प्रयास करना चाहिए। <br /><br><font color ="#00ffe0">☞ अपनी गलतियों से सिखना ।</font> दोस्तों गलतियां करना मनुष्य का स्वभाव है और ये भी सत्य है कि उसे अपने गलतियों से जो सीख मिलती है वह ओर  कहीं से या Books से नही मिल सकती है। अत: अपने गलतियां से सीख लेकर उन्हे Future में न दोहराने का प्रण करें। <br /><br><font color ="#14ff00"><font color ="#ffee00">☞ दुसरों से सीखें । </font></font>दोस्तों याद रखें हमारा जीवन इतना लंबा नहीं है कि हम प्रत्येक बार  गलतियां करके फिर सीखें । इसलिए समझदारी इसी में है कि हम दुसरों के अनुभवों का फायदा उठायें । <br /><br>☞<font color ="#ff00b9"> काम में निरंतरता बनाएं रखें ।</font> सफल होने के लिए अपने काम में Continuity बनाए रखना जरुरी है , नहीं तो आपका  हाल भी वही होगा जो खरगोश और कछुए की कहानी में खरगोश का होता है । धीरे - धीरे ही सही परंतु निरंतर अपने लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग पर चलते रहें । <br /><br><font color ="#ff0000">☞ </font><font color ="#ff0041"><font color ="#ff0000">जो भी करें अपना श्रेष्ठ </font></font><font color ="#ff0000">दें। </font>कई बार हम लोगों को यह कहते हुए सुनते है कि क्या करुं ? यार मजबुरी  से काम करना पड़ रहा है । मजबुरी से किए हुए काम में वह आनन्द नही मिलता जो दिल से किए काम में मिलता है । अत: काम छोटा हो या बड़ा हमेशा मेहनत और लगन से करें और अपना Best देने का प्रयास करें। अत: ऊपर बताई हुई इन दस बातों को ध्यान में रखते हुए अपना लक्ष्य निर्धारित करें और आगे बढ़ें । मुझे विश्वास है कि आप जरुर सफल होगें। Best of luck <br /><br>कृपया इस Artical को पढ़कर नीचे Comment Box में अपने विचार जरुर व्यक्त करें। <br><br /><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-63890896054137785102013-04-26T15:04:00.001+05:302013-06-17T15:46:58.260+05:30संकल्प शक्ति दोस्तों ,
आज मैं आप से जिस topic पर
बात करने जा रहा हूं वह है "संकल्प
शक्ति" यानि कि will power.
<br> सबसे पहले मैं आपको संकल्प शक्ति के
महत्व को प्रतिपादित करने वाली एक
छोटी सी कहानी सुनाता हूं।
आप राजा राम मोहन राय जी से
भली भांति परिचित है जिन्होने
तात्कालीक भारतीय समाज में
विद्यमान अंधविश्वास तथा सामाजिक
बुराईयों को खत्म करने के लिए
'ब्रह्मसमाज‘ की स्थापना की थी ।
जब मोहन राय छोटे थे तब उनके
बड़े भाई की मृत्यु हो गई।उस समय
उनकी भाभी को सती होने के लिए
बाध्य किया गया। <a name='more'></a> उन्हें
धधकती ज्वालाओं में जिंदा झोंक
दिया गया। बालक मोहन राय से
जीवन का यह करूण विभत्स देखा न
गया और उनके मन में एक विरोध
की भावना उठी । उन्होनें संकल्प
किया कि " जब तक इस
पिशाचिनी प्रथा का अंत न कर दूंगा,
चैन से नहीं बैठुंगा ।" और हम सब
जानते हैं कि राजा राम मोहन राय के
प्रयासों के फलस्वरुप सन् 1829 में
सती प्रथा को दंडित और गैर
कानूनी घोषित किया गया।
<br> तो देखा दोस्तों आपने एक संकल्प
शक्ति का कमाल। संकल्प
शक्ति का ही दुसरा नाम
इच्छा शक्ति भी है। एक विद्वान
का कहना है कि " एक सफल व्यक्ति और
सामान्य व्यक्ति के बीच जो फर्क
होता है वह शक्ति और ज्ञान
का नही है बल्कि इच्छा शक्ति का है ।
जब हम कोई काम करने ती इच्छा करते
है तो शक्ति अपने आप आ जाती है।
दरअसल मनुष्य में
आत्मशक्ति की कमी नहीं होती है,
कमी होती है तो केवल
इच्छाशक्ति की। जिस व्यक्ति ने
अपनी इच्छाशक्ति को प्रबल
बना लिया समझ लिजिए उसने
दुनिया का हर काम संभव कर लिया।
<br> अगर आपने सोच लिया कि आप फलां काम
में सफलता प्राप्त करके ही रहेंगें
तो आपको उस काम को पूरा करने से
कोई भी नहीं रोक सकता है। यदि आप
डॉक्टर, इंजिनीयर, वकील, लेखक,
खिलाड़ी, आदि बनने की इच्छा रखते है ,
तो अपनी सारी क्रियाओं और
शक्तियों को उसी दिशा में लगा दें। और
फिर प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त
करें।किसी ने सही ही कहा है कि "अच्छे
कामों के लिए ताकत
की नहीं बल्कि इच्छा शक्ति की जरूरत
होती है।"
<br> <br> कृपया अपने बहुमुल्य सुझाव
और प्रतिक्रीयाएं जरुर दें जो मुझे
बेहतर और बेहतर लिखने को प्रेरित
करेंगी। धन्यवाद
के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7024228288939481350.post-52919901796809540472013-04-18T13:26:00.001+05:302013-06-17T15:04:31.947+05:30Dr. abdul kalam Quote in Hindi<br><font color ="#ff1100"><b>डॉ. अब्दुल कलाम के विचार दोस्तों , मैं आज आपके साथ </b></font><font color ="#ff1100"><b><u><u>डॉं APJ अब्दुल कलाम</u></u></b></font><font color ="#ff1100"><b> के कुछ बेहतरीन विचार साझा कर रहा हूं । इन्हें पढ़कर अपने चरित्र निर्माण में काम में लावें। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>① शिक्षक एक सीढी के समान है,  जिस पर चढ़ कर उसके विद्यार्थी उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ जाते है,और सीढ़ी वहीं खडी रह जाती है,आने वाले विद्यार्थीयों के लिए। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>② सफलता तभी संभव है , जब कर्तव्य के प्रति समर्पित हो। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>③ हम अब तक जो कुछ करते आए है उससे आगे बढ़कर कुछ नया करने से प्रगति की राह बनती है। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>④ साहित्य हमारी सोच को विकसित करता है। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑤ तब तक सवाल करते रहो जब तक संतोष जनक जवाब न मिल जाए। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑥ प्रतिदिन एक घंटा पुस्तकें पढ़ने में लगाइए और आप ज्ञान का भंडार बन जाएंगे। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑦ जीवन का महत्व इस बात में है कि खुद कामयाबी हासिल करने से अधिक हम दुसरों को कामयाबी हासिल करने में मददगार हो। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑧ सदाचार युक्त कठोर परिश्रम ही हमें समृध्द बना सकता है। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑨ मन स्वस्थ है तो विचार भी स्वस्थ होंगे। </b></font><br /><br><font color ="#ff1100"><b>⑩ अनदेखे , अनजाने रास्तों पर चलने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। </b></font><br />के. सी. मईड़ाhttp://www.blogger.com/profile/14339858090989949512noreply@blogger.com0