रविवार, 18 अगस्त 2013
जीना तो नहीं भूल गये....
दोस्तों,
आज मैं आपके साथ एक ऐसी कविता साझा करने जा रहा हूं जिसमें काव्यगत सौन्दर्यता के नाम पर कुछ विशेष नहीं है । लेकिन यह कविता आपके जीवन के प्रति नजरिये को बदल सकती है । यह कविता मैंने किसी फेसबुक पेज के वाल पर देखी थी । इसके रचनाकार के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है । मैं इस कविता के अज्ञात लेखक के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हुं । कविता का शीर्षक है , "जीना तो नहीं भूल गये " .....
जीना तो नहीं भूल गये
पहले हाई स्कूल अच्छे नंबरों से पास करने के लिये वो मरते रहे ,
फिर कॉलेज पूरा करने के लिये डटे रहे ताकि कमाना शुरु कर सकें,
फिर शादी के लिये बेचैन रहे,
और फिर बच्चों के लिये,
फिर बच्चे बडे होकर कुछ बन जाऍ,
इस कोशिश में तपते रहे ,
फिर एक दिन वो रिटायर हो गये काम से ,
और आज जिंदगी से रिटायर हो रहे है ,
क्योंकि मौत दरवाजे पर दस्तक दे रही है...
और अचानक उन्हें लग रहा है ,
जिंदगी की भागमभाग में वो जीना तो भूल ही गये थे ,
कही आप तो वो नही...
आप अपने साथ ऐसा मत होने देना ,
ऐ दोस्त जमकर जीना और उल्लास से जीना...
दोस्तों यह कविता आज के अधिकांश युवाओं की जिंदगी की हकीकत बयां करती है । व्यक्ति कल की चिंता में अपने आज को कभी सही ढ़ंग से जी नहीं पाता है । हाँ , व्यक्ति का अपने कल को लेकर सजग रहना अच्छी बात है लेकिन, उसके चक्कर में अपने आज को चिंता और तनाव जैसे नकारात्मक भावों से खराब करना सही नहीं है । चूंकि आपके आगे आने वाले जीवन को संवारने के लिए आपको पर्याप्त समय मिलता है , लेकिन बीता हुआ समय कभी वापस लौट कर नहीं आता है ।
दोस्तों इस कविता को दोबारा पढें और गौर करें कि कहीं ये पंक्तियां आपके जिंदगी जीने के ढ़ंग को कहीं बयां तो नहीं कर रही है । अगर हाँ , तो आज से ही अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदलें । अपने जीवन के हर छोटे से छोटे खुशी के पल को खुल कर जीएं और इन पलों को दुसरों के साथ साझा करें ।
रविवार, 21 जुलाई 2013
SWOT ANALYSIS TECHNIQUE IN HINDI
दोस्तों,
आज मैं आपके साथ एक ऐसी आत्मविश्लेषण करने की तकनीक swot analysis technique in hindi साझा करने जा रहा हुं , जिसके जरिये हम खुद का एक विश्लेषणात्मक मुल्यांकन कर सकते है ।
आइए जानते है क्या है यह तकनीक?
इस तकनीक का नाम है SWOT Analysis. इसकी सहायता से हम अपनी खुबियों, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों के बारे में जान सकते है । इसमें हमें अपने आप से कुछ सवाल पुछकर उनके उत्तर देना है । सामान्य तौर पर यह पाया गया है कि जितनी आसानी से हम दुसरों की कमियों और खुबियों का मुल्यांकन कर सकते उतनी आसानी से स्वयं का मुल्यांकन नहीं कर पाते है । परन्तु ये बात भी सच है कि जितनी सटीकता और वास्तविकता से हम अपना मुल्यांकन कर सकते है ऐसा ओर कोई दुसरा व्यक्ति नहीं कर सकता है । हमारी खुबियां और कमियां हम से बेहतर और कौन जान सकता है ?
तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें ?
सबसे पहले एक पेन और कागज साथ में लें और किसी एकान्त और शांत जगह पर चले जाएं । यह शांत जगह आपका कमरा, छत, कुछ भी हो सकती है । अब कागज को चार बराबर हिस्सों में बांट लें और उसके चार भागों में अंग्रजी के अक्षर S (Strengths) , W (Weaknesses) , O (Opportunities) और T (Threats) लिखें । इसमें से पहले और तीसरे हिस्से वाली चीजें आपके लिए Helpful यानि कि उपयोगी है तथा दुसरे और चौथे हिस्से वाली चीजें Harmful है यानि कि नुकसानदायी ।
अब एक एक करके नीचे दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर संबंधित भाग में लिखते जाएं । याद रखें इन सवालों के उत्तर आपको पुरी निष्पक्षता और ईमानदारी से देने है । जवाब लिखने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें ।
S -> Strengths यानि खुबियां, ताकत and all positive things about you.
1. मेरे अंदर क्या कौशल और क्षमताएं हैं?
2. मैं किन क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर सकता हुं?
3. मेरा विलक्षण गुण क्या है?
4. कौन से व्यक्तिगत गुण, मूल्य मुझे सफलता दिलाएंगें ?
W -> Weaknesses यानि कमजोरियां , अवगुण and all negative things about you .
5. कौन - कौन से नकारात्मक विचार मेरे अंदर है?
6. मेरी क्षमताओं में किन चीजों की कमी है?
7. मुझे कौन से कौशल हासिल करने है?
8. मैं अपने जीवन के कौन से क्षेत्रों में सुधार कर सकता हूं ?
O -> Opportunities यानि उपलब्ध सुअवसर
9. मेरे लिए कौन से अवसर उपलब्ध है ?
10. कौन-सी परिस्थितियां मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता करेंगीं ।
11. कौन-से लोग मेरी सहायता और सहयोग कर सकते है ?
T -> threats यानि बाधाएं , खतरे , Fear , मुसीबतें आदि ।
12. मुझे किन बाधाओं का सामना करना है ?
13. कौन-से विचार मेरे विकास में बाधक है ?
14. कौन-से डरों ने मुझं जकड़ा हुआ है ?
15. कौन-से लोग मेरी प्रगति में बाधा बन सकते हैं ?
अब लिखे गए आपके इन जवाबों को दो - तीन बार तसल्ली से पढें । S हिस्से में जितने जवाब है वह सब आपके लक्ष्य को हासिल करने में आपके सहायक तत्व है । W वाले हिस्से में लिखे हुए जवाब आपकी सफलता और अच्छे काम में बाधक तत्व हैं । अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी इन कमजोरियों से कैसे निपटते है ? O हिस्से में लिखे हुए जवाब आपके लिए सफलता के द्वार है । ये द्वार कभी- कभी ही खुलते है । इसलिए आपके सामने लिखे हुए O हिस्से के जवाबों को अच्छे से पढें । और इनका फायदा उठायें । अब T हिस्से के जवाबों को पढें । ये सभी आपकी सफलता की राह के कांटें हैं जिनसे आपको बचना है ।
मैं आशा करता हुं कि ये लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा । ..
रविवार, 7 जुलाई 2013
फैसले की घड़ी
मनुष्य का जीवन फैसलों और निर्णयों पर आधारित है । ये निर्णय सामाजिक या व्यक्तिगत स्तर पर भिन्न हो सकते है । हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे कई मोड़ आते है जब उसे दो या अधिक रास्तों में से किसी एक को चुनना पड़ता है । और बाद में उसका वही चुनाव उसके आगे के जीवन की दिशा और दशा को निर्धारित करता है । साथ ही उसका यह फैसला दुसरों को खासकर उसके ही अपने परिवार वालों की जिंदगी को भी काफी हद तक प्रभावित करता है ।
व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता उसकी आत्मनिर्भरता का पैमाना होती है । अर्थात व्यक्ति का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता इस बात पर निर्भर करती है कि वह व्यक्तिगत स्तर पर अच्छे फैसले लेने में कितना सक्षम है ?
सही निर्णय लेने से पहले आपको बिना किसी संकोच के स्वीकार करना होगा कि आप आज जहां पर है और जो भी,स्वयं की वजह से है । अत: अगर आप अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलना चाहते है तो पहले स्वयं को बदलना जरुरी है ।
एक अच्छा फैसला या निर्णय लेने के लिए जरुरी है कि आप उसमें अपने मत के साथ - साथ दुसरों के मत और सुझावों को भी शामिल करें । कुछ आधारभुत बातों मसलन उसका अपनी वर्तमान स्थिति , लगने वाले समय और पूंजी, परिणाम और उसकी उपयोगिता, मानव परिश्रम, जोखिम आदि को केन्द्र में रखकर विचार करें । मेरी एक सलाह यह भी है कि अपने निर्णय लेते समय आप अपने माता-पिता और अन्य करीबियों के अनुभवों को भी शामिल करें ।
निर्णय लेते समय आने वाले जोखिम को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है । हर तरह के काम में हमेशा बाधाओं और अड़चन की संभावना बराबर बनी रहती है । मसलन विद्दार्थियों के लिए Fail होने का, राजनेता के लिए चुनाव हारने का, डॉक्टर के लिए ट्रीटमेंट असफल होने का, खिलाड़ी के लिए हारने का आदि कुछ जोखिम के रुप है । जरा सोचिए यदि कोई व्यक्ति नदी पार करना चाहता है और वह डुबने के डर से नदी में उतरता ही नहीं है तो क्या वह नदी पार कर पाएगा ? नहीं ना । नदी पार करने के लिए जरुरी है कि वह नदी में उतरने का निर्णय लेकर जोखिम उठाये ।
इस तरह हम निर्णय लेते समय कुछ बातों का ध्यान रख सकते है ।
=> निर्णय लेते समय असफलता के डर को मन से निकाल दें ।
=> छोटे से छोटे सुझाव को भी सुनें भले ही उस पर अमल करें या न करें आपकी मर्जी ।
=> सुने सब की पर करें मन की ।
=> गलती होने पर उसकी जिम्मेदारी भी स्वीकार करें ।
जरा ध्यान दें - निर्णय लेने का Risk करता है सफलता को Fix.
रविवार, 30 जून 2013
मन की शांति
अपने जीवन का उद्देश्य और पूर्णता की अनुभूति के लिए आवश्यक कारकों को जानने के लिए अमरीकन रब्बाई और अन्य कई पुस्तकों के लेखक जोशुआ लोथ लीबमैन काफी उत्साहित रहते थे ।
एक दिन उन्होंने उन चीजों जैसे स्वास्थ्य, सोंदर्य, समृद्धि, यश, शक्ति, संबल आदि की सुची बनाई ; जिन्हें पाकर कोई भी अपने आप को धन्य समझता । इस सुची को लेकर वे एक बुजुर्ग के पास पहुंचे और उससे पुछा, " क्या इस सुची में मनुष्य की सभी गुणवान उपलब्धियां विद्दमान है या नहीं ? "
प्रश्न सुनकर बुजुर्ग मुस्कुराए और कहा, " अपनी समझ के अनुसार तुमने हर सुन्दर विचार को स्थान दिया है । लेकिन इसमें उस तत्व को तो तुमने लिखा ही नहीं है , जिसकी अनुपस्थिति में सबकुछ व्यर्थ है । उस तत्व का दर्शन विचार से नहीं , अनुभूति से किय जा सकता है । "
काफी असमंजस के साथ लीबमैन ने सुची देखी और पूछा वह कौन-सा तत्व है ? बुजुर्ग ने सुची ली और उसे बड़ी विनर्मता से काट दिया । फिर उसके नीचे तीन शब्द लिख दिए , ' PEACE OF MIND'.
दोस्तों, एक सफल जीवन वही होता है जिसमें हमें मन की शांति की अनुभूति हो । शांत मन वाला व्यक्ति अपने हर कार्य को दुसरों की तुलना में अधिक तन्मयता और एकाग्रता से करता है । याद रखें , " जीवन में पुर्णता की अनुभूति के लिए शांत चित्त होना जरुरी है ।"
रविवार, 16 जून 2013
माफ करना सीखिए
दोस्तों,
सबसे पहले सुनिए मेरी आंखों देखी दो घटनाएं । पहली घटना लगभग दो साल पहले की है। जब मैं एक स्कुल के पास से गुजर रहा था, रास्ते में मैंने देखा कि एक बाइक वाला गली में से निकल रहा था । तभी सामने से एक व्यक्ति आ गया और बाइक वाले ने बाइक संभालने की कोशिश की लेकिन बाइक उस व्यक्ति के पैर से लगती हुई गिर गयी । गनीमत रही की बाइक वाले को चोट नहीं आई पर राहगीर के पैर में हल्की चोटें आई। बाइक वाले ने तुरंत राहगीर को उठाया और Sorry कहा । राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा " कोई बात नहीं ।" बाद में बाइक वाला उसे पास के प्राथमिक चिकित्सालय ले गया ।
दुसरी घटना अभी कुछ दिन पहले ही घटी । मैं किसी काम से Bus stand गया था । वहां मैंनें देखा कि एक ट्रक जा रहा था । आगे एक साइकिल वाला आ गया तो ट्रक रुक गया । पीछे से एक कार की ट्रक से टक्कर हो गयी । कार वाले ने ट्रक वाले से कुछ अपशब्द कहे तो ट्रक ड्राइवर भी पीछे नहीं रहा । बात बढ़ती गयी और नौबत हाथापाई तक पहुंच गयी । इतने में ट्रेफिक पुलिस भी वहां आ गयी और दोनों को साथ ले गयी ।
मेरे ख्याल मे ऊपर की दोनों घटनाएं लगभग समान ही है लेकिन कुछ शब्दों ने दोनों घटनाओं के परिणाम को ही बदल दिया । पहली घटना जहां एक मुस्कुराहट के साथ खत्म हुई, वहीं दुसरी घटना में बात मारपीट व पुलिस तक पहुंच गई ।
दोस्तों , हम सब जानते है कि इंसान गलतियों का पुतला है । हम जब तक कोई गलती नहीं करते हैं तब तक नया नहीं सीख सकते है । और नया सीखने के लिए जरुरी है , हम कुछ गलतियों को क्षमा करें । उससे भी ज्यादा जरुरी यह है कि माफी मांगना व माफ करना दोनों दिल से हो । याद रखें क्षमा का भाव हमें पशुता से मानवता की ओर ले जाता है । एक विचारक क्षमा करने का अर्थ बताते हुए कहते है कि क्षमा का मतलब बदला लेने में पूर्ण रुप से सक्षम होते हुए भी माफ कर देना । यदि हम अपने मन में किसी के प्रति द्वेष पालते है तो इससे उसको कोई हानि नहीं होती है । अपितु इसके विपरीत हम ही तनाव, चिंता व मानसिक अशांति का शिकार बनते है । अगर हम छोटी - छोटी गलतियों को माफ करना सीख जाते है तो हम अनावश्यक तनाव, चिंता, भय तथा कुंठा से बच सकते है, जिससे हमें मानसिक शांति व खुशी मिलती है । महोपाध्याय ललितप्रभ सागर कहते हैं 'प्रतिशोध तो वह विष है जो मस्तिष्क की ग्रंथियों को कमजोर करता है और मन की शांति को भस्म करता है । अगर मनुष्य यह सोचता है कि वह वैर को वैर से हिंसा को बिंसा से काट देगा तो यह उसकी भुल है । वैर- विरोध और वैमनस्यता की स्याही से सना हुआ वस्त्र खून से नहीं बल्कि प्रेम, आत्मीयता , मैत्री तथा क्षमा के साबुन से साफ किया जाता है ।'
यह पोस्ट भी पढ़ें। कामयाबी की राह
शनिवार, 8 जून 2013
जितना दोगे उतना मिलेगा ।
दोस्तों , आज एक छोटी सी कहानी सुनिए जो मनोरंजन के साथ साथ जिंदगी का एक बहुत अच्छा और महत्वपुर्ण सबक सीखाती है।
एक बार की बात है । एक किसान हर रोज एक पौंड मक्खन एक बेकरी वाले को बेचा करता था । एक दिन बेकरीवाले ने सोचा - " मैं हर रोज इस किसान पर भरोसा करके बिना तोले मक्खन ले लेता हुं, क्यों न आज मक्खन को तोल कर देखुं ताकि मुझे पता लग सके कि मक्खन पुरा मिल रहा है कि नहीं ।"
तोलने पर मक्खन वजन में कम निकला । बेकरीवाले को किसान पर बहुत क्रोध आया । उसने किसान पर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई । किसान को कोर्ट में बुलाया गया । जज ने किसान से पुछा कि क्या वह मक्खन तोलने के लिए किसी बाट का इस्तेमाल करता है । किसान ने उत्तर दिया, कि यूं तो उसके पास बाट नहीं है, लेकिन फिर भी वह उसे तोल लेता है । हैरान जज ने पुछा वह बिना बाट के मक्खन कैसे तोलता है ? तो किसान ने उत्तर दिया कि लंबे समय से हर रोज वह , बेकरीवाले से एक पौंड का ब्रेड खरीदता है । हर रोज जब वह बेकरीवाला मुझे ब्रेड देकर जाता है,तो मैं उतने ही वजन का मक्खन उसे तोल कर दे देता हुं । यह सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया ।
दोस्तों , इस कहानी से मिलने वाला सबक स्पष्ट है कि जो आप दुसरों को देते हैं वही आपको रिटर्न में वापस मिलता है। जब आप दुसरों के साथ अच्छा या बुरा व्यवहार करते है तो वही व्यवहार आपके साथ भी दोहराया जाता है । हमारे यहां एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय।' अत: अपना व्यवहार शालीनता युक्त बनाएं ।
अंत में मेरा यही कहना है कि जैसे व्यवहार की आप दुसरों से अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार पहले दुसरों के साथ करें ।
यह पोस्ट भी पढ़ें । संकल्प शक्ति
रविवार, 2 जून 2013
बातचीत की कला
दोस्तों,
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अपने विचारोंऔर भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों को वाणी रुपी माला में पिरोकर प्रस्तुत करना पड़ता है । वर्तमान समय मैं तो बातचीत की कला ( Talking ability) का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। सभी तेजी से सफलता की सीढ़ीयां चढ़ना चाहते है । काम और व्यापार के सिलसिले में उन्हें अजनबियों से मुलाकात करनी पड़ती है । सभी की कोशिश रहती है कि बातचीत और विनम्र व्यवहार से सामने वाले का दिल जीता जाए । आज हर क्षेत्र में व्यवहार कुशल व्यक्ति को प्रमुखता दी जाती है, चाहे वे प्राइवेट सेक्टर्स हो या सरकारी ।
यहां मैं आपको पहले अकबर - बीरबल के किस्सों में से एक कहानी सुनाता हुं जो मनोरंजन के साथ साथ प्रेरणात्मक भी है ।
एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीब सपना देखा कि केवल एक छोड़कर उनके बाकी सभी दांत गिर गए हैं। फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व नुजूमियों को बुला भेजा और और उन्हें अपने सपने के बारे में बताकर उसका मतलब जानना चाहा। सभी ने आपस में विचार-विमर्श किया और एक मत होकर बादशाह से कहा, ‘‘जहांपनाह, इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते-रिश्तेदार आपसे: पहले ही मर जाएंगे।’’ यह सुनकर अकबर को बेहद क्रोध हो आया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा। उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से अपने सपने का मतलब बताने को कहा। कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबे रहे, फिर बोले, ‘‘हुजूर, आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है कि अपने नाते - रिश्तेदारों के बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे।’’ बीरबल की बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुए। बादशाह ने बीरबल को ईनाम देकर विदा किया।
दोस्तों, यहां पर गौर करने वाली बातयह है कि बीरबल ने भी अकबर को वही बात कही थी जो उन ज्योतिषियों ने कही थी, लेकिन दोनों का बात कहने का ढंग अलग - अलग अलग था । साथ ही दोनों तरीकों पर प्रतिक्रियाएं भी एक दुसरे के विपरीत थी ।
हम यहां पर आपको बातचीत से संबंधित कुछ जरुरी सुझाव दे रहे हैं, जिन्हें आप अपना सकते है ।
1. आत्मविश्वास -: आत्मविश्वास का गुण एक सफल वक्ता बनने के लिए बेहद जरुरी है । व्यक्ति के बातचीत के तरीके और हावभाव में आत्मविश्वास की झलक स्पष्ट नजर आती है । आत्मविश्वासी व्यक्ति अपनी बात को जोश और उत्साह के साथ प्रस्तुत करता है , साथ ही उसकी चेहरे पर सच्ची मुस्कान रहती है ।वह अपनी बात को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत नहीं करता है।वह जो भी बोलता है पुरे विश्वास के साथ बोलता है । वह कभी दुसरों के दिल को चोट पहुंचाने वाली बात नहीं करता है ।
2. भाषा की सरलता और स्पष्टता का ध्यान रखें । एक कुशल वक्ता बनने के लिए आपको अपनी विचारों को सीधे, सरल और स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करना आना चाहिए ; नहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है । अपने वक्तव्य ( lecture) में जानबुझ कर कठिन और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करें ।याद रखें - " विचारो की सरलता और स्पष्टता से ही वाणी सरल और स्पष्ट बनती है ।"
3. अच्छे श्रोता बनें । एक अच्छे वक्ता की पहचान एक अच्छे श्रोता के रुप में भी होती है । वह न केवल शब्दों को ध्यान से सुनता है , बल्कि उनके अंदर छुपे हुए भावों को भी पढ़ लेता है । अगर उसे कोई बात समझ में नहीं आती है तो बीच में सवाल पुछ कर अपनी शंका दुर कर लेता है । इससे सामने वाले को भी लगता है कि श्रोता उसकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है ।
4. दुसरों को भी बोलने का अवसर दें । अक्सर कुछ लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है या कहें बिमारी होती है । उन से तंग आकर लोग उनसे दुर भागने लगते है । कुशल वक्ता अपने बात कहने के बाद या पहले ओरों को भी बोलने का अवसर प्रदान करता है और उनकी बातों को ध्यान से सुनता है ।बीच में अपनी बात कहने के लिए दुसरों की बात भी नहीं काटता है ।
5. बहसबाजी न करें । बात चीत में तर्क वितर्क का होना अच्छी बात है , इससे किसी विषय का सार्थक हल निकलता है । तर्क वितर्क करने से आपको नई जानकारी भी मिलती है । लेकिन अपनी बात पर अढ़े रहने से बातचीत बहसबाजी का रुप ले लेती है । वस्तुत: बहसबाजी केवल अहंकार की ऐसी लड़ाई है, जिसमें एक दुसरे पर चिल्लाने की होड़ सी लगी होती है । बहसबाजी से कई बार हमारे संबंध भी बिगड़ जाते है ।
मैं अपनी विचारों का अंत कबीरदास जी के इस दोहे के साथ करता हुँ ।
" ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोये ।
औरन को सीतल करै आपहूं सीतल होये ।"
यह पोस्ट भी पढें। अहंकार को कहें ना...
रविवार, 26 मई 2013
अहंकार को कहें ना ...
दोस्तों , आज हम बात करेंगे " अहंकार " पर ; जिसे english में EGO कहते हैं । अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो हमें ऐसे सेकड़ों योद्दाओं और राजाओं के उदहारण मिल जाऐंगें , जो अपने अहंकार के कारण अपनी क्षमताओं और शक्ति के साथ न्याय नहीं कर पाए ।न्युट रोकने कहते है । " अहंकार का भाव ऐसा बाम है जो मुर्खता के दर्द को कम कर देता है ।" कई बार लोग अपनी काबिलीयत के दम पर succesfull हो तो जाते लेकिन इस success का नशा उनके सिर चढ़ कर बोलता है और नतीजा यह होता है कि वे वापस फर्श से अर्श तक आ जाते है । दोस्तों ! success होने के बाद उस success को enjoy करने का आपका हक़ बनता है , लेकिन एक limit में रहकर । यहाँ पर हम आपको कुछ points बता रहे है , जिन्हें आप follow कर सकते है ।
1. तूफान का सामना । दोस्तों, जब तेज आंधी चलती है कि बड़े पेड़ उस आंधी तूफ़ान में उखड जाते हैं । लेकिन घास को इससे कोइ फर्क नहीं पढ़ता है । तो हमें भी घास की तरह विनम्र रहना चाहिए; बड़े पेड़ों की तरह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए । क्योंकि अकड़ना तो मुर्दों की पहचान होती है ।
2. दूसरों को सम्मान देना। अहंकार का सबसे अच्छा इलाज है दुसरे लोगों का सम्मान करना । एक बात याद रखें औरों को सम्मान देने से आपकी इज्जत कम नहीं होती है , बल्कि उसके बदले में आपको भी सम्मान मिलता है ।आप विनम्रता को बढ़ावा देकर ही अपने अहंकार की ख़त्म कर सकते है ।
3. दूसरों का आंकलन। अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर भरोसा करना अच्छी बात है लेकिन औरों को कमजोर समझ कर उनका अपमान नहीं करना चाहिए । हम जानते है कि मगध सम्राट घनानंद ने आचार्य चाणक्य को कमजोर समझ कर उनका अपने दरबार में अपमान किया था जिसका परिणाम उसे अपनी राजगद्दी से हाथ धोकर चुकाना पढ़ा ।
4. अहंकार से क्रोध पैदा होता है । जब कोई हमारी आलोचना करता है तो हम फौरन गुस्से में आग बबूला हो जाते हैं । इसके बजाये हमें उस आलोचना को पर मंथन करना चाहिए । अगर आलोचना सही है तो उस पर हमें सकारात्मक पहल करनी चाहिए और गलत है तो उसे नजरंदाज करते हुए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए ।
5. अच्छाई का अभिमान। अहंकार का ये सबसे common रूप है । अक्सर लोगों को लगता है कि इस संसार में उनसे भला मनुष्य कोई नहीं है।याद रखें आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करेंगे , उतनी ही बुराई पैदा होगी । इसलिए अच्छे बनों ; पर अच्छाई का अभिमान मत करो । कुल मिलाकर एक बात ध्यान में रखें "विनम्र बने और अहंकार से मुक्ति पायें।"
रविवार, 19 मई 2013
सफलता का श्रेय
दोस्तों आज में आपको एक motivational कहानी सुनाता हुं । सफलता का श्रेय किसे मिले ? इस प्रश्न पर एक दिन विवाद खड़ा हुआ । ' संकल्प ' ने खुद को, ' बल ' ने खुद को तथा बुद्धी ने स्वयं को अधिक महत्वपुर्ण बताया । तीनों ही अपनी अपनी बात पर अड़ गये । अंत में तय हुआ कि ' विवेक ' को पंच बनाकर इस विवाद को सुलझाया जाए ।
तीनों को अपने साथ लेकर विवेक चल पड़ा । उसने एक हाथ में लोहे की टेढ़ी कील ली और दुसरे में हथोड़ा । चलते चलते वे लोग ऐसे स्थान पर पहुचे जहां एक नन्हा बालक खेल रहा था । विवेक ने बालक से कहा - " बेटा, इस टेढ़ी कील को अगर तुम हथौड़े से ठोक कर सीधा कर दो तो मैं तुम्हें भरपेट मिठाई और खिलौने दुंगा ।"
बालक की आंखे चमक उठीं । वह बड़ी आशा और उत्साह से प्रयत्न करने लगा । पर कील को सीधा कर सकना तो दुर वह हथौड़ा तक नहीं उठा सका । भारी औजार उठाने लायक उसके हाथों में बल ही नहीं था । बहुत प्रयत्न करने पर भी सफलता न मिली तो बालक खिन्न होकर चला गया । इससे उन्होने यह निष्कर्ष निकाला कि सफलता प्राप्त करने के लिए अकेला ' संकल्प ' अपर्याप्त है ।
चारों आगे बढ़े तो थोड़ी दूर जाने पर एक श्रमिक दिखाई दिया । वह खर्राटे लेता हुआ सो रहा था । विवेक ने उस जगाया और कहा - " इस कील को हथौड़ा मारकर सीधा कर दो ; मैं तुम्हें दस रुपये दुंगा । " उनींदी आंखों से श्रमिक ने थोड़ा प्रयत्न भी किया, पर वह नींद की खुमारी में ही बना रहा । उसने हथौड़ा एक ओर रख दिया और वहीं लेट खर्राटे भरने लगा ।
निष्कर्ष निकला कि अकेला ' बल' भी काफी नहीं है । सामर्थ्य रखते हुए भी संकल्प न होने से श्रमिक जब कील को सीधा न कर सका तो इसके सिवाय और क्या किया जा सकता था । विवेक ने कहा कि हमें वापस लौट चलना चाहिए, क्योंकि जिस बात को हम जानना चाहते थे वह मालुम पड़ गई । संकल्प , बल और बुद्धि का सम्मिलित रुप ही सफलता का श्रेय प्राप्त कर सकता है । एकाकी रुप में आप तीनों ही अपुर्ण और अधुरे है ।
तो दोस्तों बात साफ है सफल होने के लिए बल, बुद्धि और संकल्प तीनों की जरुरत होती है ।
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कृपया अपने सुझाव और विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स मे जरुर दें । धन्यवाद Dr. Abdul Kalam Qoute in Hindi Dr. abdul kalam qoute in Hindi
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