रविवार, 30 जून 2013
मन की शांति
अपने जीवन का उद्देश्य और पूर्णता की अनुभूति के लिए आवश्यक कारकों को जानने के लिए अमरीकन रब्बाई और अन्य कई पुस्तकों के लेखक जोशुआ लोथ लीबमैन काफी उत्साहित रहते थे ।
एक दिन उन्होंने उन चीजों जैसे स्वास्थ्य, सोंदर्य, समृद्धि, यश, शक्ति, संबल आदि की सुची बनाई ; जिन्हें पाकर कोई भी अपने आप को धन्य समझता । इस सुची को लेकर वे एक बुजुर्ग के पास पहुंचे और उससे पुछा, " क्या इस सुची में मनुष्य की सभी गुणवान उपलब्धियां विद्दमान है या नहीं ? "
प्रश्न सुनकर बुजुर्ग मुस्कुराए और कहा, " अपनी समझ के अनुसार तुमने हर सुन्दर विचार को स्थान दिया है । लेकिन इसमें उस तत्व को तो तुमने लिखा ही नहीं है , जिसकी अनुपस्थिति में सबकुछ व्यर्थ है । उस तत्व का दर्शन विचार से नहीं , अनुभूति से किय जा सकता है । "
काफी असमंजस के साथ लीबमैन ने सुची देखी और पूछा वह कौन-सा तत्व है ? बुजुर्ग ने सुची ली और उसे बड़ी विनर्मता से काट दिया । फिर उसके नीचे तीन शब्द लिख दिए , ' PEACE OF MIND'.
दोस्तों, एक सफल जीवन वही होता है जिसमें हमें मन की शांति की अनुभूति हो । शांत मन वाला व्यक्ति अपने हर कार्य को दुसरों की तुलना में अधिक तन्मयता और एकाग्रता से करता है । याद रखें , " जीवन में पुर्णता की अनुभूति के लिए शांत चित्त होना जरुरी है ।"
रविवार, 16 जून 2013
माफ करना सीखिए
दोस्तों,
सबसे पहले सुनिए मेरी आंखों देखी दो घटनाएं । पहली घटना लगभग दो साल पहले की है। जब मैं एक स्कुल के पास से गुजर रहा था, रास्ते में मैंने देखा कि एक बाइक वाला गली में से निकल रहा था । तभी सामने से एक व्यक्ति आ गया और बाइक वाले ने बाइक संभालने की कोशिश की लेकिन बाइक उस व्यक्ति के पैर से लगती हुई गिर गयी । गनीमत रही की बाइक वाले को चोट नहीं आई पर राहगीर के पैर में हल्की चोटें आई। बाइक वाले ने तुरंत राहगीर को उठाया और Sorry कहा । राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा " कोई बात नहीं ।" बाद में बाइक वाला उसे पास के प्राथमिक चिकित्सालय ले गया ।
दुसरी घटना अभी कुछ दिन पहले ही घटी । मैं किसी काम से Bus stand गया था । वहां मैंनें देखा कि एक ट्रक जा रहा था । आगे एक साइकिल वाला आ गया तो ट्रक रुक गया । पीछे से एक कार की ट्रक से टक्कर हो गयी । कार वाले ने ट्रक वाले से कुछ अपशब्द कहे तो ट्रक ड्राइवर भी पीछे नहीं रहा । बात बढ़ती गयी और नौबत हाथापाई तक पहुंच गयी । इतने में ट्रेफिक पुलिस भी वहां आ गयी और दोनों को साथ ले गयी ।
मेरे ख्याल मे ऊपर की दोनों घटनाएं लगभग समान ही है लेकिन कुछ शब्दों ने दोनों घटनाओं के परिणाम को ही बदल दिया । पहली घटना जहां एक मुस्कुराहट के साथ खत्म हुई, वहीं दुसरी घटना में बात मारपीट व पुलिस तक पहुंच गई ।
दोस्तों , हम सब जानते है कि इंसान गलतियों का पुतला है । हम जब तक कोई गलती नहीं करते हैं तब तक नया नहीं सीख सकते है । और नया सीखने के लिए जरुरी है , हम कुछ गलतियों को क्षमा करें । उससे भी ज्यादा जरुरी यह है कि माफी मांगना व माफ करना दोनों दिल से हो । याद रखें क्षमा का भाव हमें पशुता से मानवता की ओर ले जाता है । एक विचारक क्षमा करने का अर्थ बताते हुए कहते है कि क्षमा का मतलब बदला लेने में पूर्ण रुप से सक्षम होते हुए भी माफ कर देना । यदि हम अपने मन में किसी के प्रति द्वेष पालते है तो इससे उसको कोई हानि नहीं होती है । अपितु इसके विपरीत हम ही तनाव, चिंता व मानसिक अशांति का शिकार बनते है । अगर हम छोटी - छोटी गलतियों को माफ करना सीख जाते है तो हम अनावश्यक तनाव, चिंता, भय तथा कुंठा से बच सकते है, जिससे हमें मानसिक शांति व खुशी मिलती है । महोपाध्याय ललितप्रभ सागर कहते हैं 'प्रतिशोध तो वह विष है जो मस्तिष्क की ग्रंथियों को कमजोर करता है और मन की शांति को भस्म करता है । अगर मनुष्य यह सोचता है कि वह वैर को वैर से हिंसा को बिंसा से काट देगा तो यह उसकी भुल है । वैर- विरोध और वैमनस्यता की स्याही से सना हुआ वस्त्र खून से नहीं बल्कि प्रेम, आत्मीयता , मैत्री तथा क्षमा के साबुन से साफ किया जाता है ।'
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शनिवार, 8 जून 2013
जितना दोगे उतना मिलेगा ।
दोस्तों , आज एक छोटी सी कहानी सुनिए जो मनोरंजन के साथ साथ जिंदगी का एक बहुत अच्छा और महत्वपुर्ण सबक सीखाती है।
एक बार की बात है । एक किसान हर रोज एक पौंड मक्खन एक बेकरी वाले को बेचा करता था । एक दिन बेकरीवाले ने सोचा - " मैं हर रोज इस किसान पर भरोसा करके बिना तोले मक्खन ले लेता हुं, क्यों न आज मक्खन को तोल कर देखुं ताकि मुझे पता लग सके कि मक्खन पुरा मिल रहा है कि नहीं ।"
तोलने पर मक्खन वजन में कम निकला । बेकरीवाले को किसान पर बहुत क्रोध आया । उसने किसान पर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई । किसान को कोर्ट में बुलाया गया । जज ने किसान से पुछा कि क्या वह मक्खन तोलने के लिए किसी बाट का इस्तेमाल करता है । किसान ने उत्तर दिया, कि यूं तो उसके पास बाट नहीं है, लेकिन फिर भी वह उसे तोल लेता है । हैरान जज ने पुछा वह बिना बाट के मक्खन कैसे तोलता है ? तो किसान ने उत्तर दिया कि लंबे समय से हर रोज वह , बेकरीवाले से एक पौंड का ब्रेड खरीदता है । हर रोज जब वह बेकरीवाला मुझे ब्रेड देकर जाता है,तो मैं उतने ही वजन का मक्खन उसे तोल कर दे देता हुं । यह सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया ।
दोस्तों , इस कहानी से मिलने वाला सबक स्पष्ट है कि जो आप दुसरों को देते हैं वही आपको रिटर्न में वापस मिलता है। जब आप दुसरों के साथ अच्छा या बुरा व्यवहार करते है तो वही व्यवहार आपके साथ भी दोहराया जाता है । हमारे यहां एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय।' अत: अपना व्यवहार शालीनता युक्त बनाएं ।
अंत में मेरा यही कहना है कि जैसे व्यवहार की आप दुसरों से अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार पहले दुसरों के साथ करें ।
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रविवार, 2 जून 2013
बातचीत की कला
दोस्तों,
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अपने विचारोंऔर भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों को वाणी रुपी माला में पिरोकर प्रस्तुत करना पड़ता है । वर्तमान समय मैं तो बातचीत की कला ( Talking ability) का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। सभी तेजी से सफलता की सीढ़ीयां चढ़ना चाहते है । काम और व्यापार के सिलसिले में उन्हें अजनबियों से मुलाकात करनी पड़ती है । सभी की कोशिश रहती है कि बातचीत और विनम्र व्यवहार से सामने वाले का दिल जीता जाए । आज हर क्षेत्र में व्यवहार कुशल व्यक्ति को प्रमुखता दी जाती है, चाहे वे प्राइवेट सेक्टर्स हो या सरकारी ।
यहां मैं आपको पहले अकबर - बीरबल के किस्सों में से एक कहानी सुनाता हुं जो मनोरंजन के साथ साथ प्रेरणात्मक भी है ।
एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीब सपना देखा कि केवल एक छोड़कर उनके बाकी सभी दांत गिर गए हैं। फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व नुजूमियों को बुला भेजा और और उन्हें अपने सपने के बारे में बताकर उसका मतलब जानना चाहा। सभी ने आपस में विचार-विमर्श किया और एक मत होकर बादशाह से कहा, ‘‘जहांपनाह, इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते-रिश्तेदार आपसे: पहले ही मर जाएंगे।’’ यह सुनकर अकबर को बेहद क्रोध हो आया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा। उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से अपने सपने का मतलब बताने को कहा। कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबे रहे, फिर बोले, ‘‘हुजूर, आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है कि अपने नाते - रिश्तेदारों के बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे।’’ बीरबल की बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुए। बादशाह ने बीरबल को ईनाम देकर विदा किया।
दोस्तों, यहां पर गौर करने वाली बातयह है कि बीरबल ने भी अकबर को वही बात कही थी जो उन ज्योतिषियों ने कही थी, लेकिन दोनों का बात कहने का ढंग अलग - अलग अलग था । साथ ही दोनों तरीकों पर प्रतिक्रियाएं भी एक दुसरे के विपरीत थी ।
हम यहां पर आपको बातचीत से संबंधित कुछ जरुरी सुझाव दे रहे हैं, जिन्हें आप अपना सकते है ।
1. आत्मविश्वास -: आत्मविश्वास का गुण एक सफल वक्ता बनने के लिए बेहद जरुरी है । व्यक्ति के बातचीत के तरीके और हावभाव में आत्मविश्वास की झलक स्पष्ट नजर आती है । आत्मविश्वासी व्यक्ति अपनी बात को जोश और उत्साह के साथ प्रस्तुत करता है , साथ ही उसकी चेहरे पर सच्ची मुस्कान रहती है ।वह अपनी बात को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत नहीं करता है।वह जो भी बोलता है पुरे विश्वास के साथ बोलता है । वह कभी दुसरों के दिल को चोट पहुंचाने वाली बात नहीं करता है ।
2. भाषा की सरलता और स्पष्टता का ध्यान रखें । एक कुशल वक्ता बनने के लिए आपको अपनी विचारों को सीधे, सरल और स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करना आना चाहिए ; नहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है । अपने वक्तव्य ( lecture) में जानबुझ कर कठिन और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करें ।याद रखें - " विचारो की सरलता और स्पष्टता से ही वाणी सरल और स्पष्ट बनती है ।"
3. अच्छे श्रोता बनें । एक अच्छे वक्ता की पहचान एक अच्छे श्रोता के रुप में भी होती है । वह न केवल शब्दों को ध्यान से सुनता है , बल्कि उनके अंदर छुपे हुए भावों को भी पढ़ लेता है । अगर उसे कोई बात समझ में नहीं आती है तो बीच में सवाल पुछ कर अपनी शंका दुर कर लेता है । इससे सामने वाले को भी लगता है कि श्रोता उसकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है ।
4. दुसरों को भी बोलने का अवसर दें । अक्सर कुछ लोगों को ज्यादा बोलने की आदत होती है या कहें बिमारी होती है । उन से तंग आकर लोग उनसे दुर भागने लगते है । कुशल वक्ता अपने बात कहने के बाद या पहले ओरों को भी बोलने का अवसर प्रदान करता है और उनकी बातों को ध्यान से सुनता है ।बीच में अपनी बात कहने के लिए दुसरों की बात भी नहीं काटता है ।
5. बहसबाजी न करें । बात चीत में तर्क वितर्क का होना अच्छी बात है , इससे किसी विषय का सार्थक हल निकलता है । तर्क वितर्क करने से आपको नई जानकारी भी मिलती है । लेकिन अपनी बात पर अढ़े रहने से बातचीत बहसबाजी का रुप ले लेती है । वस्तुत: बहसबाजी केवल अहंकार की ऐसी लड़ाई है, जिसमें एक दुसरे पर चिल्लाने की होड़ सी लगी होती है । बहसबाजी से कई बार हमारे संबंध भी बिगड़ जाते है ।
मैं अपनी विचारों का अंत कबीरदास जी के इस दोहे के साथ करता हुँ ।
" ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोये ।
औरन को सीतल करै आपहूं सीतल होये ।"
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