शनिवार, 8 जून 2013
जितना दोगे उतना मिलेगा ।
दोस्तों , आज एक छोटी सी कहानी सुनिए जो मनोरंजन के साथ साथ जिंदगी का एक बहुत अच्छा और महत्वपुर्ण सबक सीखाती है।
एक बार की बात है । एक किसान हर रोज एक पौंड मक्खन एक बेकरी वाले को बेचा करता था । एक दिन बेकरीवाले ने सोचा - " मैं हर रोज इस किसान पर भरोसा करके बिना तोले मक्खन ले लेता हुं, क्यों न आज मक्खन को तोल कर देखुं ताकि मुझे पता लग सके कि मक्खन पुरा मिल रहा है कि नहीं ।"
तोलने पर मक्खन वजन में कम निकला । बेकरीवाले को किसान पर बहुत क्रोध आया । उसने किसान पर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई । किसान को कोर्ट में बुलाया गया । जज ने किसान से पुछा कि क्या वह मक्खन तोलने के लिए किसी बाट का इस्तेमाल करता है । किसान ने उत्तर दिया, कि यूं तो उसके पास बाट नहीं है, लेकिन फिर भी वह उसे तोल लेता है । हैरान जज ने पुछा वह बिना बाट के मक्खन कैसे तोलता है ? तो किसान ने उत्तर दिया कि लंबे समय से हर रोज वह , बेकरीवाले से एक पौंड का ब्रेड खरीदता है । हर रोज जब वह बेकरीवाला मुझे ब्रेड देकर जाता है,तो मैं उतने ही वजन का मक्खन उसे तोल कर दे देता हुं । यह सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया ।
दोस्तों , इस कहानी से मिलने वाला सबक स्पष्ट है कि जो आप दुसरों को देते हैं वही आपको रिटर्न में वापस मिलता है। जब आप दुसरों के साथ अच्छा या बुरा व्यवहार करते है तो वही व्यवहार आपके साथ भी दोहराया जाता है । हमारे यहां एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय।' अत: अपना व्यवहार शालीनता युक्त बनाएं ।
अंत में मेरा यही कहना है कि जैसे व्यवहार की आप दुसरों से अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार पहले दुसरों के साथ करें ।
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@अंत में मेरा यही कहना है कि जैसे व्यवहार की आप दुसरों से अपेक्षा करते हैं, वैसा ही व्यवहार पहले दुसरों के साथ करें ।
जवाब देंहटाएंसही कहा है बढ़िया सिख देती कहानी है ...आभार !
प्रेरक कहानी ।
जवाब देंहटाएंसही कहा है
जवाब देंहटाएंhttp://vranishrivastava1.blogspot.in/2013/06/80-20-best-creation-of-god.html
achchhi seekh
जवाब देंहटाएंअपने ही कर्म पलट कर आते है और उन्हें भोगना ही पडता है.
जवाब देंहटाएंप्रेरक बोध दृष्टांत....
अपना अमुल्य समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर आने और अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार ...
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