रविवार, 26 मई 2013
अहंकार को कहें ना ...
दोस्तों , आज हम बात करेंगे " अहंकार " पर ; जिसे english में EGO कहते हैं । अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो हमें ऐसे सेकड़ों योद्दाओं और राजाओं के उदहारण मिल जाऐंगें , जो अपने अहंकार के कारण अपनी क्षमताओं और शक्ति के साथ न्याय नहीं कर पाए ।न्युट रोकने कहते है । " अहंकार का भाव ऐसा बाम है जो मुर्खता के दर्द को कम कर देता है ।" कई बार लोग अपनी काबिलीयत के दम पर succesfull हो तो जाते लेकिन इस success का नशा उनके सिर चढ़ कर बोलता है और नतीजा यह होता है कि वे वापस फर्श से अर्श तक आ जाते है । दोस्तों ! success होने के बाद उस success को enjoy करने का आपका हक़ बनता है , लेकिन एक limit में रहकर । यहाँ पर हम आपको कुछ points बता रहे है , जिन्हें आप follow कर सकते है ।
1. तूफान का सामना । दोस्तों, जब तेज आंधी चलती है कि बड़े पेड़ उस आंधी तूफ़ान में उखड जाते हैं । लेकिन घास को इससे कोइ फर्क नहीं पढ़ता है । तो हमें भी घास की तरह विनम्र रहना चाहिए; बड़े पेड़ों की तरह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए । क्योंकि अकड़ना तो मुर्दों की पहचान होती है ।
2. दूसरों को सम्मान देना। अहंकार का सबसे अच्छा इलाज है दुसरे लोगों का सम्मान करना । एक बात याद रखें औरों को सम्मान देने से आपकी इज्जत कम नहीं होती है , बल्कि उसके बदले में आपको भी सम्मान मिलता है ।आप विनम्रता को बढ़ावा देकर ही अपने अहंकार की ख़त्म कर सकते है ।
3. दूसरों का आंकलन। अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर भरोसा करना अच्छी बात है लेकिन औरों को कमजोर समझ कर उनका अपमान नहीं करना चाहिए । हम जानते है कि मगध सम्राट घनानंद ने आचार्य चाणक्य को कमजोर समझ कर उनका अपने दरबार में अपमान किया था जिसका परिणाम उसे अपनी राजगद्दी से हाथ धोकर चुकाना पढ़ा ।
4. अहंकार से क्रोध पैदा होता है । जब कोई हमारी आलोचना करता है तो हम फौरन गुस्से में आग बबूला हो जाते हैं । इसके बजाये हमें उस आलोचना को पर मंथन करना चाहिए । अगर आलोचना सही है तो उस पर हमें सकारात्मक पहल करनी चाहिए और गलत है तो उसे नजरंदाज करते हुए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए ।
5. अच्छाई का अभिमान। अहंकार का ये सबसे common रूप है । अक्सर लोगों को लगता है कि इस संसार में उनसे भला मनुष्य कोई नहीं है।याद रखें आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करेंगे , उतनी ही बुराई पैदा होगी । इसलिए अच्छे बनों ; पर अच्छाई का अभिमान मत करो । कुल मिलाकर एक बात ध्यान में रखें "विनम्र बने और अहंकार से मुक्ति पायें।"
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